नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संसद द्वारा एससी एसटी एक्ट में किए गए बदलावों पर रोक लगाने से मना कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार को 6 हफ्ते का नोटिस दिया है और अपना पक्ष रखने को कहा है.
जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने ये नोटिस तब जारी किया है जब वो एससी एसटी एक्ट में संसद द्वारा किए गए बदलावों को रद्द करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. याचिका में कहा गया था कि संसद के दोनों सदनों ने मनमाने तरीके कानून को बदला और उन प्रावधानों को वापिस लाया गया जिसके कारण कोई निर्दोश एंटीसिपेटरी बेल हासिल नही कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने बिना सरकार का पक्ष सुने एससी-एसटी एक्ट में हुए संशोधनों पर रोक लगाने से मना कर दिया.
बता दें कि 20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा. पहले डीएसपी शिकायत की प्रारंभिक जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा तो नहीं है. इसके अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशभर में दलितों ने भारत बंद कर विरोध प्रदर्शन किया. जिसके बाद सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाना पड़ा और संशोधन में बदलाव किए.
हालांकि सरकार के अध्यादेश लाने के बाद गुरुवार को कई राज्यों में स्वर्णों ने इस एक्ट का विरोध किया और भाजपा को वोट न देने की कसम खाई है. ऐसे में मोदी सरकार दुविधा में है यदि वो एक्ट में संशोधन न करती तो दलितों के वोट गंवाती अब आने वाले चुनावों के चलते सरकार को स्वर्णों के वोट छिन जाने का डर सताने लगा है.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट यदि संशोधनों के खिलाफ फैसला करती है तो सरकार के पास कोई रास्ता नही बचेगा.