सुप्रीम कोर्ट ने आज नीट यूजी को पेपर लीक के आरोपों के बावजूद रद्द क्यों नहीं की, इसकी जानकारी दी है। साथ ही सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी के लिए काम करने का दायरा भी तय किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीट यूजी के मामले में हमें सिस्टमैटिक कमियां नहीं मिली। पेपर लीक सिर्फ पटना और झारखंड के हजारीबाग में ही हुआ है, इसका कोई व्यापक असर नहीं था। ऐसे में एग्जाम रद्द करने के लाखों छात्र प्रभावित होते और इसका उनके मनोबल पर सीधा असर पड़ता।
एनटीए की कमियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते
कोर्ट ने कहा कि हमनें एनटीए की कमियों पर बात की। हम छात्रों के हित को देखते हुए एनटीए की कमियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा सरकार को इन कमियों को इसी साल दूर करना चाहिए जिससे दोबारा ऐसी स्थिति नहीं बने। कोर्ट ने आगे कहा कि हमने सरकार की ओर से नियुक्त कमेटी के काम का दायरा तय किया है।
कमेटी के लिए तय हुआ दायरा
सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी से कहा कि कमेटी काम के दौरान एग्जाम सिक्योरिटी, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तय करना, एग्जाम सेन्टर के अलॉट करने की प्रकिया की समीक्षा, Exam सेन्टर की CCTV मॉनिटरिंग, पेपर में गड़बड़ी नहीं हो, ये सुनिश्चित करना, शिकायतों के निवारण की व्यवस्था करना, प्रश्नपत्रों में हेराफेरी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए लॉजिस्टिक को सुरक्षित करना और पेपर को खुले ई-रिक्शा के बजाय रियल टाइम इलेक्ट्रॉनिक लॉक सिस्टम के साथ बंद वाहन में भेजे जाने की व्यवस्था पर विचार करे।
छात्रों को दी हाईकोर्ट जाने की सलाह
साथ ही कमेटी से कहा है कि एग्जाम देने वाले कैंडिडेट की पहचान सुनिश्चित किया जाए, पेपर लीक को रोकने के लिए स्टोरेज के लिए SOP तैयार करें, अगर किसी की शिकायत का निवारण SC के फैसले से हुआ है तो वो HC जा सकता है, हमारा निष्कर्ष है कि पेपर लीक सिस्टमैटिक नहीं है और पेपर लीक व्यापक स्तर पर नहीं हुआ है। इसीलिए हमने NEET की दोबारा परीक्षा की मांग को खारिज किया। आगे NTA को हिदायत दी कि आगे के लिए ध्यान रखना चाहिए। इस इस तरह की लापरवाही से बचें।
कमेटी को दिया गया समय
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि पूरी परीक्षा की गरिमा प्रभावित नहीं हुई। कोर्ट ने कमेटी की रिपोर्ट तय करने के लिए 30 सितंबर 2024 तक का वक़्त दिया। दरअसल केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि भविष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में NEET जैसी गड़बड़ी को रोकने के लिए इसरो के पूर्व चेयरमैन के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में कमिटी गठित होगी। कोर्ट ने आज उसी कमेटी का दायरा तय किया है। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे कि ये सिस्टमेटिक फेलियर नहीं हैं। पेपर लीक का असर हजारीबाग और पटना तक ही सीमित रहा। हमने ढांचागत खामियों की ओर ध्यान दिला दिया है।