सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच चल रहे विवाद में एक दिलचस्प मोड़ आया। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को एक चाय पर बैठकर मामले को सुलझाने की सलाह दी है। कोर्ट ने उन्हें यह भी चेतावनी दी कि अगर उन्होंने जल्द से जल्द इस मसले का हल नहीं निकाला, तो वह अपना फैसला सुना देंगे।
कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब वेंकटरमणी से राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच लंबे समय से अटका हुआ विधेयक विवाद पर सुनवाई हो रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने वेंकटरमणी से कहा कि अगर वह इसे जल्द सुलझा सकते हैं, तो चाय पर बैठकर ही यह काम कर लें, वरना हमें अपना निर्णय सुनाना पड़ेगा। कोर्ट ने इस मसले को 24 घंटे के भीतर सुलझाने का समय भी दिया।
पूरा मामला क्या है?
2023 में तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। राज्य सरकार का कहना था कि राज्यपाल कई विधेयकों को रोककर बैठ जाते हैं, जिसके कारण जनहित में फैसले नहीं हो पा रहे हैं। स्टालिन सरकार ने आरोप लगाया कि राज्यपाल, जो विधानसभा में विधायकों द्वारा पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर करने के बजाय उन्हें रोक लेते हैं, इस कारण सरकारी कार्य में अवरोध आ रहा है। कोर्ट ने इस पर राज्यपाल को नोटिस जारी किया था, लेकिन मामला अब तक सुलझा नहीं पाया।
सुनवाई में क्या हुआ?
इस मामले की सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार की ओर से प्रसिद्ध वकील मुकुल रोहतगी पेश हुए। रोहतगी ने कोर्ट में यह दलील दी कि पंजाब के मामले में पहले कोर्ट ने राज्यपाल को विधेयकों को न रोकने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु का मामला काफी लंबा खिंच चुका है, जिससे आम जनता को नुकसान हो रहा है। राज्य सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि राज्यपाल की वजह से उच्च शिक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे और कुलपतियों की नियुक्ति जैसे मुद्दे अटके पड़े हैं।
इसके अलावा, राज्य सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि राज्यपाल कैदियों की रिहाई से संबंधित विधेयक पर भी हस्ताक्षर करने से इनकार कर रहे हैं, जिसके कारण इन विधेयकों को मंजूरी नहीं मिल पा रही। मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से यह सवाल पूछा कि अगर राज्यपाल को यह विधेयक असंवैधानिक लगते हैं, तो वह उन्हें सीधे राष्ट्रपति के पास क्यों नहीं भेज देते?
राज्यपाल की दलील
वहीं, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कोर्ट में यह दलील दी कि राज्यपाल के पास लंबित कोई विधेयक नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ विधेयकों को राज्यपाल ने वापस किया है क्योंकि वे स्वीकृत नहीं किए जा सकते थे। हालांकि, कोर्ट ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो क्यों न राज्यपाल इस मसले को शीघ्र हल करें? इस पर कोर्ट ने चुटकी लेते हुए वेंकटरमणी से कहा, “आप चाय पर इस मसले को क्यों नहीं सुलझा लेते?”
राज्यपाल को हटाने का अधिकार नहीं
कोर्ट ने इस मामले के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि वह राज्यपाल को हटाने का आदेश नहीं दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि राज्यपाल की नियुक्ति और हटाने का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास है, और यह निर्णय संविधान के अनुसार ही लिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि वह संविधान का उल्लंघन नहीं कर सकते और न ही राज्यपाल के पद को खत्म करने का कोई आदेश दे सकते हैं।
राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच विवाद
यह मामला लंबे समय से चल रहा है। मार्च 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के आचरण पर गंभीर सवाल उठाए थे और कहा था कि उनके आचरण पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है। राज्यपाल आरएन रवि का नाम विशेष रूप से विवादों में रहा है, क्योंकि वह तमिलनाडु सरकार से कई मुद्दों पर भिड़े हुए हैं।
2021 में तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में आरएन रवि की नियुक्ति के बाद से राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच लगातार मतभेद उभरते रहे हैं। हाल ही में, राज्यपाल ने विधानसभा सत्र को भी संबोधित नहीं किया था, जिसके बाद इस मुद्दे पर काफी बवाल मच गया था।
क्या आगे होगा?
अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच यह विवाद कब सुलझता है। कोर्ट ने वेंकटरमणी को 24 घंटे के भीतर मसला सुलझाने की सलाह दी है। अगर इस दौरान कोई समाधान नहीं निकलता, तो सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले की ओर बढ़ेगा। तमिलनाडु सरकार के लिए यह मामला काफी अहम है, क्योंकि इसे जनहित के फैसलों में तेजी लाने के लिए जरूरी माना जा रहा है।
यह पूरी स्थिति अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले और दोनों पक्षों के बीच संवाद पर निर्भर करेगी।