दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण और पराली जलाने के मुद्दे पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य केवल कारण बताओ नोटिस जारी कर रहे हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई में नाकाम रहे हैं।
सरकारों की लापरवाही पर नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि इन राज्यों की सरकारें पराली जलाने के मामले में गंभीरता से कदम उठाने में असफल साबित हुई हैं। अदालत ने यह भी कहा कि सुनवाई के दौरान गलत बयानी की जा रही है और चेतावनी दी कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो अवमानना नोटिस जारी किया जाएगा।
हरियाणा ने की सख्त कार्रवाई
हरियाणा सरकार ने इस मामले में कुछ सख्त कदम उठाते हुए अपने कृषि और किसान कल्याण विभाग के 24 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई उन अधिकारियों के खिलाफ की गई है जो अपने क्षेत्रों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में विफल रहे हैं। यह आदेश 20 अक्टूबर को जारी किया गया था और यह प्रशासनिक आधार पर लिया गया है।
राज्य मुख्य सचिवों को तलब
उच्चतम न्यायालय ने पराली जलाने के मामले में दोषी व्यक्तियों पर मुकदमा न चलाने को लेकर पंजाब और हरियाणा सरकारों की आलोचना की है। इसके अलावा, राज्य के मुख्य सचिवों को 23 अक्टूबर को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है ताकि वे स्पष्टीकरण दे सकें।
दिल्ली में प्रदूषण का बड़ा कारण
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का एक बड़ा कारण पराली का जलाया जाना बताया गया है। इस समस्या को लेकर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने भी हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के परिवहन मंत्रियों को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे सुनिश्चित करें कि उनके राज्यों से कोई डीजल बस राष्ट्रीय राजधानी में न आए।
समस्या का हल चाहिए
सुप्रीम कोर्ट की फटकार और हरियाणा सरकार की कार्रवाई से स्पष्ट है कि प्रदूषण की समस्या को लेकर गंभीरता बढ़ गई है। लेकिन अभी भी दोनों राज्यों की सरकारों को और ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि दिल्ली-एनसीआर की हवा साफ हो सके और नागरिकों को स्वस्थ जीवन मिल सके।