दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग की तैनाती के अधिकार पर केंद्र सरकार अध्यादेश लेकर आई थी। इस अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है। अब इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को सुनवाई करेगी। वहीं, अध्यादेश के आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे केंद्र का काला कानून बताने के साथ विपक्ष से इस मुद्दे पर एक साथ आकर विरोध करने के लिए निवेदन किया था।
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आरोप लगाते रहते है कि केंद्र सरकार एलजी के माध्यम से उन्हें काम नहीं करने दे रही है। आप सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख भी किया था। जहां सुप्रीम कोर्ट ने बीती 11 मई को दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया था और कहा था कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ही राज्य में नौकरशाहों के तबादले और उनकी तैनाती कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 ले आई। जिसके तहत राज्य में ग्रेड A के अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को दे दिया था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में काम करने वाले दानिक्स कैडर के ग्रुप ए के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित कर दिया था। इस प्राधिकरण के तीन सदस्य होंगे। जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली के गृह प्रधान सचिव होंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री को इस प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है।
केंद्र के इस फैसले के बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि केंद्र उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली को कंट्रोल करना चाहती है। इसलिए इस अध्यादेश को रद्द किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने देश की सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियों को इस अध्यादेश के खिलाफ एक सुर में विरोध करने के लिए पत्र लिखकर निवेदन किया था।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि केंद्र राज्यपालों और उप राज्यपालों की मदद से देश की सभी 36 राज्यों को चलाना चाहती है। अब इसी मामले में कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है। जिस पर 10 जुलाई को अगली सुनवाई होगी।