अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुलाने का फैसला किया. नतीजा यह कि तालिबान मजबूत हुआ और अब उसकी अफगानिस्तान में वापसी होती दिख रही है. वहीं अब कयास लगाए जा रहे हैं कि दिसंबर तक जब अमेरिका इराक से लौटेगा तो वहां ISIS की भी वापसी हो सकती है. तो क्या अब ISIS और तालिबान एक दूसरे के आमने-सामने होंगे?
तालिबान का कहना है कि वो अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर एकाधिकार नहीं चाहते हैं लेकिन जब तक काबुल में नई सरकार का गठन नहीं होगा और राष्ट्रपति अशरफ़ गनी पद से हटाए नहीं जाएंगे देश में शांति स्थापित नहीं होगी.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को दिए इंटरव्यू में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य को लेकर तालिबान का रूख स्पष्ट किया है.
सुहैल शाहीन ने समाचार एजेंसी एपी से कहा, “जब बातचीत के बाद काबुल में ऐसी सरकार बनेगी जो सभी पक्षों को स्वीकार होगी और अशरफ़ गनी की सरकार चली जाएगी तब तालिबान अपने हथियार डाल देगा.”
सुहैल शाहीन तालिबान की ओर से अलग-अलग देशों के साथ वार्ता कर रहे प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा भी हैं.
बीते हफ़्ते बकरीद के मौके पर राष्ट्रपति अशरफ़ गनी ने अपने भाषण में तालिबान पर हमला करने की बात कही थी. जिसके जवाब में तालिबान ने अशरफ़ गनी को ‘जंग का सौदागर’ बताया.
तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन का बयान ऐसे मौक़े पर आया है जब अमेरिका और नेटो के 95 फ़ीसदी सैनिक वापस लौट चुके हैं और 31 अगस्त तक सेना की वापसी का काम पूरा हो जाएगा.