अफगानिस्तान में ईरान की तर्ज पर नई सरकार का गठन करने के लिए तालिबान पूरी तरह से तैयार है. तालिबान का सबसे बड़ा धार्मिक नेता मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा को अफगानिस्तान का सुप्रीम लीडर बनाया जाएगा. ईरान में नेतृत्व की तर्ज पर यह व्यवस्था की जाएगी जहां सुप्रीम लीडर देश का सबसे बड़ा राजनीतिक और धार्मिक प्राधिकारी होता है. उसका पद राष्ट्रपति से ऊपर होता है और वह सेना, सरकार और न्याय व्यवस्था के प्रमुखों की नियुक्ति करता है. देश के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों में सुप्रीम लीडर का निर्णय अंतिम होता है.
मुल्ला अखुंदजादा कंधार से सरकार का कामकाज देखेगा. तलिबान ने पहले ही सभी प्रांतों और जिलों के लिए गवर्नरों, पुलिस प्रमुखों और पुलिस कमांडरों की नियुक्ति कर दी है. नई प्रशासन प्रणाली का नाम, राष्ट्रीय झंडा और राष्ट्रगान पर अभी फैसल लिया जाना बाकी है.
ईरान की तर्ज पर अफगानिस्तान में तालिबान बनाएगा नई सरकार
ईरान एक शिया मुस्लिम बहुल देश है, जो एक इस्लामिक गणराज्य है. ईरान चुनाव प्रक्रिया के आधार पर खुद के लोकतांत्रिक देश होने का दावा करता है लेकिन यह आधा सच है. ईरान में सत्ता को कई हिस्सों में बांटा गया है. इनमें सुप्रीम लीडर, राष्ट्रपति, संसद, एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स, गार्जियन काउंसिल, एक्सपेंडेंसी काउंसिल, कैबिनेट, ज्यूडीशरी, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल और कल्चरल रोवोल्यूशन काउंसिल हैं.
ईरान में सुप्रीम लीडर ही सरकार का सर्वेसर्वा होता है, इसे जीवनभर के लिए एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स द्वारा चुना जाता है. ईरान के गठन से अबतक सिर्फ दो ही सुप्रीम लीडर बने हैं. इनमें ईरान के संस्थापक अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी और उनके उत्तराधिकारी अयातुल्ला अली खमेनेई शामिल हैं. खमेनेई वर्तमान में ईरान के सुप्रीम लीडर हैं.
ईरान का सुप्रीम लीडर सेनाओं और सुरक्षा सेवा का कमांडर होता है. इसके अलावा वह न्यूक्लियर प्रोग्राम का भी हेड होता है. ईरान के आंतरिक और विदेशी मामलों में सुप्रीम लीडर का फैसला आखिरी होता है. इसके अलावा सुप्रीम लीडर को राष्ट्रपति उम्मीदवार, चुनाव परिणाम, रक्षा विभाग में नियुक्ति, ज्यूडीशरी में प्रमुख ही नियुक्ति जैसे अधिकार भी होते हैं. इसके साथ ही सुप्रीम लीडर देश की अर्थव्यवस्था का भी मुखिया होता है.