विदेश मंत्री एस जयशंकर चीनी नेतृत्व के साथ वार्ता के लिए तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को बीजिंग पहुंचे। उनकी यात्रा के दौरान इस साल राष्ट्रपति शी के भारत दौरे की तैयारियों को अंतिम रूप देने सहित कई मुद्दों पर बातचीत होगी।
बतादें कि, जम्मू-कश्मीर को लेकर लिए गए फैसले की दुनियाभर में चर्चा है। इस बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन पहुंचे हैं, यहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग ली से मुलाकात की। दोनों देशों के बीच इस मुलाकात में कई मुद्दों पर बात हुई. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस दौरान बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच कई मुद्दों को लेकर मतभेद हैं, लेकिन वह इन मतभेदों को विवाद नहीं बनने देंगे.
बता दें कि विदेश मंत्री ने ये दौरा उस किया है, जब पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के मसले पर दुनियाभर की मदद मांग रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी इस मसले पर मदद की उम्मीद में चीन पहुंचे थे। संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन आने वाले समय में 100 ऐसे प्रयासों को बढ़ावा देंगे, जिससे दोनों देशों के लोगों में आपसी जुड़ाव बन सके।
इस दौरान दोनों देशों ने 2020 के लिए एक्शन प्लान पर भी साइन किए। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि जब से दोनों देशों के बीच वुहान बैठक हुई है, तब से दोनों देशों के बीच कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ है। दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में कई मतभेद होने की संभावना है, लेकिन उन्हें विवाद नहीं बनने दिया जाएगा।
वहीं, चीन के विदेश मंत्री वांग ली ने जम्मू-कश्मीर के मसले पर बयान देते हुए कहा कि भारत ने जो फैसला लिया है, उसपर अभी ये जरूरी है कि इलाके में शांति बनी रहे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हमारे बीच कुछ आपसी मतभेद हैं, लेकिन हम उन्हें स्वीकार करने में किसी तरह की हिचक नहीं करते हैं।
चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो विवाद चल रहा है, हमें उसकी जानकारी है। हमने इस मुद्दे पर अपना पक्ष दोनों देशों के सामने रख दिया है।
इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा के मुद्दे पर भी बात हुई। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि चीन की ओर से मानसरोवर यात्रा को लेकर कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनपर वह विचार करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच हुई शिखर बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं, उस वुहान शिखर सम्मेलन के बाद यहां आ कर आज बहुत खुश हूं, जहां वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर हमारे नेताओं के बीच आम सहमति और व्यापक हुई थी।’
जयशंकर ने कहा, ‘चीन में पुन: आना बहुत खुशी की बात है और मैं अपने पिछले वर्षों को बड़े उत्साह के साथ याद करता हूं। मैं बहुत खुश हूं कि मेरे कार्यकाल की शुरुआत में ही मुझे यहां आने और हमारे दो नेताओं के बीच अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की तैयारी करने का अवसर मिला, जिसे हम शीघ्र ही देखने की उम्मीद करते हैं।’
जयशंकर का स्वागत करते हुए, उपराष्ट्रपति वांग ने कहा, ‘मुझे यह भी पता है कि आप चीन में सबसे लंबे समय तक रहने वाले भारतीय राजदूत हैं और आपने हमारे दोनों देशों के संबंधों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाएगी।
गौरतलब है कि एस. जयशंकर को चीन मामले का एक्सपर्ट माना जाता है। विदेश मंत्री का पद संभालने के बाद एस. जयशंकर की चीन की ये पहली यात्रा है। एस. जयशंकर 1 जून 2009 से 1 दिसंबर 2013 तक चीन में भारतीय राजदूत के रूप में काम कर चुके हैं।