क्या स्टालिन का ‘₹’ चिह्न बदलने का फैसला है गैरकानूनी? जानें इनके नियम

चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने अपने बजट लोगो में भारतीय करेंसी सिम्बल (₹) की जगह तमिल अक्षर ‘ரு’ (Ru) को शामिल कर दिया है। इस बदलाव के बाद राजनीतिक गलियारों में बहस छिड़ गई है कि क्या स्टालिन सरकार का यह फैसला नियमों के खिलाफ है या फिर कानूनी रूप से सही?


तमिलनाडु सरकार का तर्क

राज्य सरकार का कहना है कि यह बदलाव तमिल पहचान को बनाए रखने के लिए किया गया है। तमिलनाडु के वित्त मंत्री थंगम थेन्नारसु ने इसे राज्य की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को बनाए रखने की दिशा में एक कदम बताया। बजट लोगो में ‘ரு’ को स्थानीय भाषा में भारतीय मुद्रा को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा, डीएमके सरकार के समावेशी शासन मॉडल को दर्शाने के लिए “सबके लिए सब कुछ” टैगलाइन भी जोड़ी गई है।


पहली बार किसी राज्य ने किया ऐसा बदलाव

भारत में रुपये का चिह्न (₹) 2010 में आधिकारिक रूप से अपनाया गया था और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली हुई है। हालांकि, तमिलनाडु सरकार का यह कदम रुपये के चिह्न में बदलाव का अपनी तरह का पहला मामला है। इससे पहले किसी भी राज्य सरकार ने रुपये के चिह्न को बदलने की कोशिश नहीं की थी।


क्या यह बदलाव गैरकानूनी है?

सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक राय के मुताबिक, रुपये का चिह्न (₹) भारतीय राष्ट्रीय चिह्न की सूची में शामिल नहीं है। इसलिए इस बदलाव को सीधे तौर पर गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता। अगर रुपये का चिह्न राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त होता, तो इसमें कोई भी बदलाव करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास होता।


राष्ट्रीय प्रतीकों में बदलाव का नियम क्या कहता है?

भारतीय राष्ट्रीय चिन्ह (दुरुपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 2005 के तहत राष्ट्रीय प्रतीकों में बदलाव की अनुमति सिर्फ केंद्र सरकार को है। हालांकि, रुपये का चिह्न राष्ट्रीय प्रतीकों की इस सूची में नहीं आता, इसलिए राज्य सरकार के इस कदम को चुनौती देने का कोई कानूनी आधार स्पष्ट नहीं है।


आर्थिक विशेषज्ञों की राय

आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि रुपये के चिह्न को बदलने से अंतरराष्ट्रीय लेन-देन और पहचान पर असर पड़ सकता है। अगर भविष्य में अन्य राज्य भी अपने-अपने क्षेत्रीय भाषाओं में रुपये के अलग-अलग प्रतीक उपयोग करने लगें, तो इससे वित्तीय प्रणाली में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।


क्या केंद्र सरकार उठाएगी कोई कदम?

अब सवाल यह है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाएगी। अगर इस बदलाव से कोई बड़ा विवाद खड़ा होता है, तो केंद्र सरकार स्पष्ट निर्देश जारी कर सकती है कि रुपये के चिह्न को किसी भी आधिकारिक दस्तावेज़ में बदला नहीं जा सकता।

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