गलती से दानपात्र में गिरा श्रद्धालु का आईफोन, मंदिर प्रशासन ने लौटाने से किया इनकार, कहा- ‘अब यह भगवान के खाते में है’

चेन्नई के एक मंदिर में श्रद्धालु के द्वारा गलती से दानपात्र में गिरा आईफोन अब भगवान के खाते में समाहित हो चुका है, और इसे लौटाने से मंदिर प्रशासन ने मना कर दिया है। मामला तिरुपुरुर स्थित श्री कंडास्वामी मंदिर का है, जहां एक श्रद्धालु का आईफोन दानपात्र में गिर गया था। इस मामले ने धर्म और प्रशासन के बीच एक दिलचस्प बहस को जन्म दिया है।
दानपात्र में गिरा श्रद्धालु का आईफोन
दिनेश नामक श्रद्धालु, जो एक भक्त के रूप में मंदिर आया था, ने दानपात्र में अनजाने में अपना आईफोन गिरा दिया। दान करते समय उसने अपने फोन को दानपात्र के अंदर गिरते देखा, और जैसे ही उसे यह एहसास हुआ, उसने तुरंत मंदिर प्रशासन से संपर्क किया। दिनेश का कहना था कि उसे अपने आईफोन को वापस चाहिए, क्योंकि यह एक गलती थी।
मंदिर प्रशासन का जवाब: ‘अब यह भगवान का है’
मंदिर प्रशासन ने 20 दिसंबर को जब दानपात्र खोला, तो उन्हें फोन मिल गया। प्रशासन ने दिनेश से संपर्क किया और कहा कि उनका फोन मिल गया है, लेकिन वह फोन वापस नहीं कर सकते। प्रशासन ने इस मामले में नियमों का हवाला देते हुए बताया कि जो भी वस्तु दानपात्र में गिरती है, वह अब मंदिर की संपत्ति बन जाती है और उसे वापस नहीं किया जा सकता। प्रशासन ने दिनेश से फोन का डेटा देने की बात की, लेकिन फोन लौटाने से साफ इनकार कर दिया।
दिनेश ने डेटा लेने से मना कर दिया और कहा कि वह अपना फोन वापस चाहते हैं, लेकिन प्रशासन ने इसे भगवान का खाता मानते हुए कोई रियायत देने से मना कर दिया।
मंदिर के कड़े नियम और प्रथाएं
मंदिर प्रशासन का कहना है कि धार्मिक और धर्मार्थ कार्यों के तहत दानपात्र में जो भी वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं, चाहे वह गलती से ही क्यों न गिरें, वे भगवान के खाते में चली जाती हैं। हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्त मंत्री पी.के. शेखर बाबू ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि मंदिरों में स्थापित हुंडी (दानपात्र) के जरिए जो भी चढ़ावा आता है, वह भगवान के पास जाता है। उन्होंने कहा कि इस नियम के तहत कोई भी श्रद्धालु चढ़ावा वापस नहीं ले सकता है।
शेखर बाबू ने कहा कि वह विभाग के अधिकारियों के साथ इस मामले पर विचार करेंगे कि क्या इस प्रकार की घटना के लिए श्रद्धालु को मुआवजा देने का कोई रास्ता हो सकता है, लेकिन फिलहाल तो नियम यही है कि दानपात्र में गिरा सामान वापस नहीं किया जा सकता।
पिछले मामलों की याद दिलाता यह घटनाक्रम
यह पहला मामला नहीं है जब दानपात्र में कोई वस्तु गिरने से विवाद हुआ हो। इस साल मई में केरल के अलप्पुझा की एक श्रद्धालु एस. संगीता ने पलानी के प्रसिद्ध श्री धनदायुथपानी स्वामी मंदिर में गलती से अपनी सोने की चेन दानपात्र में गिरा दी थी। हालांकि, प्रशासन ने इस मामले में आर्थिक रूप से कमजोर श्रद्धालु को सहानुभूति दिखाते हुए, और CCTV फुटेज के आधार पर यह सुनिश्चित करने के बाद कि चेन गलती से गिरी थी, उन्हें मुआवजे के तौर पर वही चेन खरीदकर दी थी।
कानूनी दृष्टिकोण और मंदिरों के प्रबंधन के नियम
हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हुंडी स्थापना सुरक्षा और लेखा नियम, 1975 के अनुसार, दानपात्र में गिराई गई कोई भी वस्तु मंदिर की संपत्ति बन जाती है, और उसे वापस नहीं किया जा सकता है। इस कानून के तहत, मंदिर प्रशासन का यह कर्तव्य है कि वह दानपात्र में चढ़ाई गई चीजों को भगवान के खाते में समर्पित करे, और किसी भी परिस्थिति में इसे वापस न करें।
नियमों में बदलाव की संभावना?
हालांकि, इस घटना ने श्रद्धालुओं में एक नई बहस को जन्म दिया है कि क्या मंदिरों के दानपात्र में गिरने वाली वस्तुएं, जिनमें फोन जैसी कीमती चीजें भी शामिल हैं, उन्हें लेकर कोई विशेष प्रावधान होना चाहिए। कुछ श्रद्धालु और अधिकारिक दल यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या गलती से गिरा सामान कभी भी लौटाया जा सकता है, या फिर इसे भगवान की संपत्ति मानने के पुराने नियम को बदलने की जरूरत है।
हालांकि इस मामले में अभी कोई निर्णय नहीं आया है, लेकिन मंत्री पी.के. शेखर बाबू ने यह कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए वह आगे इस पर विचार करेंगे।

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