चेन्नै। लोकसभा चुनाव 2019 जैसे जैसे करीब आ रहा है वैसे ही पार्टियों ने हर एक रणनीति का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। हर जगह पार्टियों की जोड़-तोड़ की जुगत लगना शुरू हो गया है। हर एक पार्टी ने दिल्ली में अपनी सरकार बनाने के लिए एक दूसरे का हाथ पकड़ना शुरू कर दिया है। जिसका साक्ष्य उदाहरण है हाल ही में हुआ भाजपा और एआईएडीएमके के गठबंधन से मिलता है। खबरों की बात मानें तो दोनों पार्टियों में कई महीनों से गठबंधन को लेकर बातचीत का सिलसिला चल रहा था जो कि आखिरकार गुरुवार को दोनों पार्टियों में बातचीत कर गठबंधन तय हो गया।
दोनों पार्टियों के गठबंधन के पीछे छिपी राजनीतिक रणनीति पर गौर करें तो यह मालूम होता है कि लोकसभा 40 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ना तय हुआ है। दोनों पार्टी में जिस अनुपात से सीटों काविभाजन हुआ है वह 25-15 है। दोनों पार्टियों के बीच देर तक चली बैठक से निष्कर्ष निकला है कि भाजपा को 25 सीटों में से 8 सीटें मिल सकती है। हालांकि गठबंधन से यह भी साफ है कि सभी छोटी पार्टियां चुनाव नहीं लड़ेंगे।
लोकसभा 2014 की बात करें तो भाजपा ने कोई गठबंधन नहीं किया था। लेकिन इस बार सभी पार्टी की रजामंदी के साथ यह गठबंधन एक महागठबंधन का रूप ले सकता है। बैठक के दौरान सभी पार्टियों ने अपने अपने गुणों के अनुसार इकट्ठा करके एक नई राजनीतिक रणनीति तैयार की है। जिसमें सभी ने एक अनुपात के तौर पर लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का विचार किया है। जाहिर है कि इस बार भी सीटों का बंटवारा हर बार की तरह वोट बैंक के अनुसार ही होगा। अब नजदीक आ रहे लोकसभा चुनावों की हो रहे सभी पार्टियों में गठबंधन किस प्रकार का राजनीतिक बदलाव लेकर आएंगे।