कश्मीर के कुलगाम के चेकी अश्मूजी गांव के नजीर वानी ने 2004 में आतंकवाद का नापाक रास्ता छोड़ दिया था और भारतीय आर्मी को ज्वाइन किया था. इस गणतंत्र शहीद जवान नजीर वानी को अशोक चक्र अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. ऐसा पहली बार होगा जब किसी आतंकवादी से बने आर्मी जवान को इतने बड़े सम्मान से नवाजा जाएगा.
नजीर वानी की कहानी
नजीर साल 2004 से पहले आतंकवादी संगठन में शामिल थे लेकिन 2004 में नजीर ने आत्मसमर्पण कर दिया था. कुछ वक्त बाद नजीर भारतीय सेना में शामिल हो गए थे और 2018 में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे.
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में शोपियां में 6 आतंकवादियों के एक घर में छुपे होने की खबर मिली थी, भारतीय सुरक्षाबलों की टीम इन आतंकवादियों को ढेर करने शोपियां जा पहुंची और उस घर की घेराबंदी कर ली जहां आतंकवादी छिपे हुए थे. इस दौरान नजीर वानी ने एक आतंकवादी को ढेर कर दिया लेकिन बदले में नजीर वानी खुद भी घायल हो गए थे.
गोली से जख्मी होने के बाद भी नजीर ने हार नहीं मानी और आतंकियों से लगातार लड़ते रहे और घर में छिपे दहशतगर्दों को भागने में नाकामयाब कर दिया. इस पूरे ऑपरेशन में नजीर आतंकियों की गोलियां का निशाना बने और शहीद हो गए. नजीर वानी को उनकी इस बहादुरी के लिए अशोक चक्र से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है. राष्ट्रपति सचिवालय की तरफ से बताया गया है कि नजीर वानी एक बेहतर सैनिक थे और उन्होंने हमेशा चुनौतीपूर्ण मिशन में साहस दिखाया.
जानकारी हो कि नजीर वानी पहले भी अपनी बहादुरी के लिए दो बार सेना मेडल प्राप्त कर चुके थे. बता दें कि नजीर के घर में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं. साल 2004 में नजीर वानी ने टेरिटोरियल आर्मी से सेना में अपनी सेवा देनी शुरू की थी. 2007 में उन्हें पहला सेना मेडल और वहीं 2017 में उनको दूसरे मेडल से सम्मानित किया गया था.