विश्वजीत भट्टाचार्य: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इससे पहले मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार पर तमाम आरोप जड़े जा रहे हैं. इसी कड़ी में 20 अक्टूबर को मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने एक अंग्रेजी न्यूज चैनल से बात करते हुए आरोप लगाया कि शिवराज सिंह सरकार के दौर में सूबा रेप, किसानों की आत्महत्या और बेरोजगारी के मामले में देश में नंबर एक हो गया है. जबकि, आंकड़ों को देखें, तो कमलनाथ के ये आरोप गलत साबित हो रहे हैं. हालांकि, कांग्रेस ये कहकर आंकड़ों को झुठला सकती है कि सरकार ने अपने हिसाब से इन्हें तैयार किया है.
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कमलनाथ का दावा नंबर-1
रेप में नंबर वन: ये दावा सही नहीं है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक 2016 में मध्यप्रदेश में रेप के 4882 मामले दर्ज हुए. हालांकि, प्रति एक लाख महिलाओं को लें, तो रेप के मामले में मध्यप्रदेश देश में पांचवें नंबर पर है. यहां रेप की दर 13.1 फीसदी है. जबकि, सिक्किम में 30 फीसदी, दिल्ली में 22 फीसदी से ज्यादा, अरुणाचल प्रदेश में 14 फीसदी से ज्यादा और मेघालय में 13 फीसदी से ज्यादा रेप के मामले 2016 में दर्ज किए गए.
कमलनाथ का दावा नंबर-2
किसानों की आत्महत्या में नंबर-1: कमलनाथ ने दावा किया कि शिवराज सरकार के दौर में मध्यप्रदेश में किसानों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले हुए हैं. हकीकत ये है कि कमलनाथ का ये आरोप गलत है. एनसीआरबी डेटा के मुताबिक साल 2016 में मध्यप्रदेश में 1321 किसानों ने आत्महत्या की. जबकि, महाराष्ट्र में 3661 और कर्नाटक में 2079 किसानों की आत्महत्या के मामले हुए.
साल 2015 में मध्यप्रदेश में 1290 किसानों ने जान दी थी. जबकि, महाराष्ट्र में 4291, कर्नाटक में 1569 और तेलंगाना में 1400 किसानों न तब आत्महत्या की थी. वहीं, 2014 में मध्यप्रदेश में 1198, महाराष्ट्र में 4004 और तेलंगाना में 1347 किसानों की आतमहत्या के मामले हुए थे. यानी तीनों साल महाराष्ट्र और तेलंगाना में किसानों की खुदकुशी के मामले मध्यप्रदेश से ज्यादा रहे.
खास बात ये है कि मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार 2003 में बनी और 2004 से मध्यप्रदेश में किसानों की आत्महत्या की घटनाएं अन्य राज्यों के मुकाबले कम रही हैं. 2004 से 2016 के बीच की बात करें, तो मध्यप्रदेश में 16932 किसानों ने खुदकुशी की. वहीं, महाराष्ट्र में 48804, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कुल मिलाकर 25748 और कर्नाटक में 24099 किसानों ने इस दौर में जान दी.
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कमलनाथ का दावा नंबर-3
देश में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में बेरोजगारी: कमलनाथ का ये दावा भी गलत है. 2015-16 में मध्यप्रदेश में बेरोजगारी की दर 4.3 फीसदी है. जो राष्ट्रीय औसत 5 फीसदी से काफी कम है. केंद्र के श्रम और रोजगार मंत्रालय की पांचवीं सालाना रिपोर्ट बताती है कि त्रिपुरा में सबसे ज्यादा 19.7 फीसदी बेरोजगार हैं. वहीं, केरल में 12.5 फीसदी, गोवा में 9 फीसदी से ज्यादा और यूपी में 7 फीसदी से ज्यादा बेरोजगारी की दर है. कुल मिलाकर 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मध्यप्रदेश से ज्यादा बेरोजगारी की बात इस रिपोर्ट में की गई है.