केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2021 से एथेनॉल निर्माण के लिए अलग की गई चीनी पर प्रोत्साहन को दोगुना कर दिया है ,पढ़े पूरी खबर !

नई दिल्ली: भारत  में चीनी की मांग आपूर्ति की स्थिति को बनाए रखने और चीनी की एक्स-मिल कीमतों को स्थिर करने तथा घरेलू खपत हेतु चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चीनी मिलों को घरेलू बिक्री की चीनी का मिलवार मासिक रिलीज कोटा उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा हर महीने उनके पास मौजूद स्टॉक, निर्यात प्रदर्शन और चीनी के इथेनॉल में बदलने के आधार पर आवंटित किया जाता है।

विभाग द्वारा बी-भारी गुड़/गन्ने के रस/चीनी सिरप/चीनी से एथेनॉल के उत्पादन के लिए प्रयोग  की गई चीनी पर प्रोत्साहन उनके मासिक रिलीज कोटा में अक्टूबर 2021 से दोगुना कर दिया गया है। यह इथेनॉल उत्पादन के लिए अलावा गन्ना/चीनी का उपयोग करने वाले चीनी मिलों को प्रोत्साहित करने तथा ‘पेट्रोल के साथ एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम’ के अनुरूप पेट्रोल के साथ एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किया गया है। अब, जो चीनी मिलें चीनी को एथेनॉल की ओर हस्तांतरित रही हैं, उन्हें अपने मासिक रिलीज कोटे में बी-भारी गुड़/गन्ने के रस/चीनी सिरप/चीनी से एथेनॉल के उत्पादन पर ब्यय  की गई चीनी की पूरी मात्रा मिल जाएगी।

यहां यह बताना उचित होगा कि हर  चीनी मौसम (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का उत्पादन 320-330 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) के आसपास होता है, जबकि घरेलू खपत 260 एलएमटी है, जिसके परिणामस्वरूप मिलों के पास चीनी का भारी स्टॉक होता है। देश में चीनी की अधिक उपलब्धता के कारण, चीनी की एक्स-मिल कीमतें मंद रहती हैं, जिसके परिणामस्वरूप चीनी मिलों को नकद नुकसान होता है। 60 लाख मीट्रिक टन का यह अतिरिक्त स्टॉक धन की रुकावट का कारण बनता है और चीनी मिलों की तरलता को प्रभावित करता है जिसके कारण गन्ना मूल्य बकाया जमा होता है।

चीनी की कीमतों में गिरावट के कारण चीनी मिलों को होने वाले नकद नुकसान को रोकने के लिए सरकार ने जून 2018 में चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) और चीनी के निश्चित एमएसपी की 29 रुपये प्रति किलोग्राम की अवधारणा पेश की, जिसे संशोधित कर 31 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया है और यह 14.02.2019 से प्रभावी है।

अतिरिक्त स्टॉक को इस्तेमाल करने हेतु केंद्र चीनी मिलों को चीनी के निर्यात की सुविधा के लिए सहायता भी दे रहा है। चीनी मौसम 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में क्रमशः लगभग 6.2 एलएमटी, 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया था। पिछले चीनी सीजन 2020-21 में 60 एलएमटी के लक्ष्य से ऊपर लगभग 70 एलएमटी के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, मिलों से 67 एलएमटी चीनी उठा ली गई है और 28.09.2021 तक 60 एलएमटी से अधिक का निर्यात किया गया है। चीनी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ रही हैं, इसलिए चीनी सीजन 2021-22 में चीनी के निर्यात के लिए लगभग 15 एलएमटी के निर्यात अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं और वह भी बिना किसी निर्यात सब्सिडी की घोषणा के। उम्मीद है कि चीनी सीजन 2021-22 में भी भारत करीब 60 एलएमटी चीनी का निर्यात कर सकता है।

चीनी को एथनॉल में बदलने के लिए केंद्र कई कदम उठा रहा है। अतिरिक्त चीनी की समस्या का स्थायी समाधान खोजने हेतु सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को एथनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ने 2022 तक पेट्रोल के साथ ईंधन ग्रेड एथनॉल के 10% मिश्रण और 2025 तक 20% मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है।

 

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