अभिव्यक्ति की आजादी मामले पर शीर्ष अदालत का निर्णय, कहा- किसी मंत्री के बयान के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता

Free Speech Case: सार्वोच्च न्यायालय का कहना है कि किसी भी पार्टी कार्यकर्ता या  मंत्री की तरफ से दिए गए बयान के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। इसके लिए बयान देने वाला मंत्री या कार्यकार्ता ही जिम्मेदार है। अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत निर्धारित प्रतिबंधों के अतिरिक्त कोई भी अतिरिक्त प्रतिबंध नागरिक पर नहीं लगाया जा सकता है।

जस्टिस बीवी नागरत्न ने एक अलग आदेश में कहा कि यह संसद के विवेक में है कि वह सार्वजनिक पदाधिकारियों को साथी नागरिकों के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकने के लिए एक कानून बनाए।

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा, “यह राजनीतिक दलों के लिए है कि वे अपने मंत्रियों द्वारा दिए गए भाषणों को नियंत्रित करें, जो एक आचार संहिता बनाकर किया जा सकता है। कोई भी नागरिक जो इस तरह के भाषणों या सार्वजनिक अधिकारी द्वारा अभद्र भाषा से हमला महसूस करता है, वह अदालत जा सकता है।”

 

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