उत्तर प्रदेश में एक डॉक्टर और पांच अन्य लोगों को विभिन्न अस्पतालों से काले फंगस और रेमडेसिविर इंजेक्शन की चोरी करने और उन्हें उच्च दरों पर मरीजों के परिजनों को बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस आयुक्त डी.के. ठाकुर ने कहा कि उन्हें बुधवार को रफयाम क्लब के पास से गिरफ्तार किया गया था. इनके पास से 8 मोबाइल फोन, 16,000 रुपये नकद, दो मोटरसाइकिल और एक कार के अलावा ब्लैक फंगस (लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी) के 28 इंजेक्शन और रेमडेसिविर के 18 इंजेक्शन जब्त किए गए. आरोपियों में से एक वामीक हुसैन राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डॉक्टर है, जबकि बाकी अलग अलग अस्पतालों में काम करने वाले वार्ड बॉय और दूसरे लोग हैं.
हुसैन आरएमएल इंस्टीट्यूट में इमरजेंसी मेडिसिन में तैनात थे. अन्य आरोपियों में केजीएमयू तकनीशियन मोहम्मद इमरान, केजीएमयू वार्ड बॉय मोहम्मद आरिफ, केजीएमयू फार्मासिस्ट बलबीर सिंह, फार्मास्युटिकल फ्रेंचाइजी के मालिक मोहम्मद रकीब और उनके सहयोगी एक सर्जिकल कंपनी के सेल्समैन राजेश सिंह शामिल हैं. एडीसीपी राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ लोग लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी और रेमेडिसविर इंजेक्शन अवैध रूप से बेच रहे हैं.
योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोविड के इलाज में इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले लोगों पर रासुका (NSA) के तहत केस दर्ज कर रही है. कानपुर में रेमडेसिविर (Remdesivir) इंजेक्शन की खेप के साथ तीन लोगों को पकड़ा गया था. योगी आदित्यनाथ ने दवाओं की जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश पहले ही दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है जहां दवाओं की कालाबाजारी करने वालों पर एनएसए लगाया गया है. राज्य सरकार ने पुलिस के साथ-साथ सभी एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है. कई जगहों पर छापे भी मारे गये हैं. योगी सरकार ने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना महामारी में दवाओं की कालाबाजारी और जमाखोरी पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.