तालिबानी राज का खौफनाक आलम सिखों को मिली धमकी, मुसलमान बनो, नहीं तो मार दिए जाओगे !

Talibani rule
नई दिल्ली। तालिबानी राज में सिखों का जीना मुहाल है। उन्हें धमकियां मिल रही है कि सुन्नी मुसलमान बनो नहीं तो  जान से मार दिए जाओगे। सिख समुदाय डर के साए में जीने को मजबूर है। कल तक खुली हवा में सांस लेने वाले सिख समुदाय आज बंधन में जीने को मजबूर हो चुके हैं। उनकी बदहाली का आलम यह है कि अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि क्या जाए। अतीत के आईने से अगर अफगानिस्तान में सिखों की स्थिति पर नजर डाले तो एक वक्त ऐसा भी था, जब वहां सिखों की आबादी अच्छी खासी तादाद में थी
,परन्तु  अफसोस आज की डेट में सिख समुदाय के चंद लोग ही रह गए हैं। वहीं, तालिबानी राज स्थापित होने के पश्चात वे खुद को और लाचार, बेबस और असहाय महसूस कर रहे हैं। तालिबानियों दो टूक कह दिया है कि अगर तुम्हें अपनी जान बचानी है, तो तुम्हें सुन्नी मुसलमान बनना होगा नहीं तो मार दिए जाओगे। हालांकि, अफगानिस्तान में तालिबानी राज कायम होने के पश्चात न महज सिख अपितु वहां रह रहे अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी डर  के साए में जीने को मजबूर हैं।
उन्हें निरंतर धर्म बदलने के लिए मजबूर  किया जा रहा है। धर्म नहीं बदलने पर उन्हें देश निर्वासन और जान से मारने की धमकी दी जा रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार , सिख समुदाय वैश्विक समुदाय से सहयोग की गुहार लगा रहे हैं, परन्तु अभी तक उन्हें सहयोग पहुंचाने के लिए किसी भी प्रकार की मदद नहीं पहुंचाई गई।
गौरतलब है कि ज्यादातर सिख अफगानिस्तान के गजनी और नरसंहार क्षेत्र में रहते हैं। इससे पूर्व  वहां एक गुरुद्वारे में तालिबानी आतंकियों के घुसने का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें आतंकवादी गुरुद्वारे में घुसकर लोगों को आतंकित करते दिखाई दे रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि यह रिपोर्ट इस वीडियो के वायरल होने के पश्चात ही सामने आई है। इससे पूर्व  भी कई अवसरों पर वहां सिख समुदाय में हमले की खबर निकल कर आती रही है। सिखों पर हमले व उनकी बदहाली की स्थिति न महज तालिबानी राज बल्कि अफगानिस्तान के शासन काल में भी सामने आते रहे हैं, परन्तु  तत्कालीन सरकार ने भी सिखों की दुर्दशा पर किसी भी तरह का उपयुक्त कदम नहीं उठाया था। इससे पहले वर्ष  2019 में भी एक सिख की सरेआम हत्या करने की घटना सामने आयी थी , परन्तु तालिबानी राज में सिख सहित दूसरे  अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमले तेज हुए हैं
अब ऐसे में वैश्विक संस्थाओं की ओर से क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। यह तो फिलहाल आने वाला समय ही बताएगा। आपको बता दें कि बीते 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया  था। यह पूरी घटना तब हुयी थी , जब अमेरिका ने वहां से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया था, जिसके पश्चात अफगानिस्तानी सैनिकों ने तालिबानियों के सामने  अपनी लाचारी बयां करते हुए घुटने टेकना ही मुनासिब समझे और देखते ही देखते तालिबानियों ने पूरे देश में कब्जा कर लिया और तब से लेकर अब तक वहां क्रूरता का सिलसिला चल ही रहा है। ऐसे में अफगानिस्तान के मूल निवासियों के अतिरिक्त दूसरे समुदाय के लोगों को भी निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि, अफगानिस्तान ही नहीं बल्कि कई देशों से अल्पसंख्यकों पर हमले की घटना सामने आती रहती है।  इससे पूर्व भी बांग्लादेश में जिस प्रकार हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर हमला किया गया, उसे पूरी दुनिया ने अपनी आंखों से देखा।
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