पंकज शुक्ला : जानकारों ने सीबीआई के छापों की टाइमिंग पर गौर किया था. शुक्रवार को दिल्ली में मायावती और अखिलेश यादव ने बैठकर गठबंधन का फार्मूला तय किया और इधर अगले ही दिन सीबीआई ने ताबड़तोड़ छापे मार दिए. उसकी एफआईआर में तत्कालीन खनन मंत्री का भी जिक्र है, मतलब अखिलेश यादव. क्योंकि जिस वक़्त का यह घोटाला है उस दौरान खनन विभाग का जिम्मा तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश ही उठा रहे थे ,ऐसे में यह भी तय है कि सीबीआई देर सबेर सही मगर पूछताछ के लिए उन्हें तलब करेगी जरूर.
अब रविवार को जिस तरह अखिलेश मीडिया के सामने आये और भाजपा पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया, उससे साफ़ हो गया कि तीर सही निशाने पर लगा है. निगाहें अब मायावती के भाई आनंद कुमार की तरफ हैं, जिनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय सबूतों का अम्बार लिए बैठा है. हो सकता है कि अगला नंबर आनंद का ही हो.
इसमें दो राय नहीं कि अखिलेश राज में रेत खनन एक उद्योग के तौर पर चला. जो बी. चन्द्रकला छापों की जद में आयीं हैं अकेले उन्होंने ही हमीरपुर में डीएम रहते नियम कानून ताक पर रखकर खनन के पट्टे बांटे. सपा सरकार में खनन उस दौरान भी खूब बदनाम हुआ जब अखिलेश ने यह विभाग गायत्री प्रजापति को दे दिया. गायत्री के बारे में तो कहा जाता था कि वो पट्टों की सीधी नीलामी करते थे. फिलहाल वह एक माँ बेटी से बलात्कार के आरोप में अंदर हैं. जांच उनसे पहले के कार्यकाल की इसलिए हो रही है क्योंकि हाईकोर्ट में शिकायत ही 2016 में हुई थी. और अदालत ने 2012 से 2016 तक यूपी में हुए खनन की जांच के आदेश सीबीआई को दिए थे.
बहरहाल, अखिलेश की ही और बात कर लेते हैं. अभी उनके सामने और बड़ी चुनौतियां हैं. गोमती रिवर फ्रंट पर उनके समय में हुआ बेहिसाब खर्च अब तक की सीबीआई जांच में घोटाले की शक्ल ले चुका है. वहीँ दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग में हुआ भर्ती घोटाला भी सीबीआई जांच के अंतिम चरण में है. इसमें आयोग के अध्यक्ष रहते अनिल यादव ने मेधावी छात्रों के साथ ऐतिहासिक नाइंसाफी की थी, आयोग में भर्ती घोटाले को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन हुए थे. यह मामला लाखों छात्रों से जुड़ा है और छवि बिगड़ने के लिहाज से अखिलेश पर काफी भारी पड़ सकता है.
अब ध्यान दीजिए उनकी दोस्त बन चुकीं बसपा सुप्रीमो मायावती की तरफ. करोड़ों के एनआरएचएम घोटाले में उनसे सीबीआई एक दफा पूछताछ कर चुकी है. उनके पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और आईएएस प्रदीप शुक्ला इस घोटाले में जेल काट चुके हैं.
सीबीआई के पास यह एक बड़ा मामला है. उससे भी ज्यादा बड़ा हथियार है नोएडा का चीफ इंजीनियर यादव सिंह. यादव सिंह जेल में है और ईडी उसके जरिये मायवती के भाई आनंद कुमार की गर्दन पकड़ने लायक सुबूत जुटाकर बैठा है. आरोप है कि यादव सिंह ने नोएडा में प्लाट आवंटन और निर्माण ठेकों वगैरह में बेहिसाब रिश्वत ली और आनंद की ने फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़ों रुपए घुमाए.
काली कमाई के पर्दाफ़ाश को इन्कम टैक्स आनंद के घर पर पिछले साल रेड डाल चुका है. आनंद और उनकी पत्नी दर्जनों शेल कम्पनीज़ में डायरेक्टर हैं. सूत्र बताते हैं कि अगर मायावती और अखिलेश और ज्यादा कदमताल करते दिखेंगे तो कोई आश्चर्य नहीं आनंद पर भी एक्शन हो जाए. भाजपा यह तो जानती है कि उसपर गठबंधन की वजह से बदले की कार्रवाई का आरोप लगेगा, मगर वह यह भी जानती है कि गरीब-गुरबों की सियासत का दावा करने वाले अखिलेश और मायावती के कारनामे उजागर करके उसे लाभ भी हो सकता है. कम से कम इन दोनों पार्टियों की असलियत जनता के सामने उजागर होगी ही.