गहलोत सरकार की लापरवाही से अँधेरे का सामना करना पड रहा राजस्थान वासियों को जाने क्या मामला है।

नई दिल्ली। कोयले की कमी की कारण से  पूरे देश में बिजली की कमी हो गयी है परन्तु राजस्थान में बीते तीन माह से बिजली संकट बना हुआ है। राजस्थान में बिजली कम होने के कारण से ग्रामीण क्षेत्रों  में सात घंटे तक की बिजली काटी जा रही है। एक ओर जहाँ कोयला की निरंतर  बढ़ती कमी के वजह से बिजली बन नहीं पा रही है और किसानों एवं व्यापारियों को परेशानियों का मुंह देखना पड़ रहा है। तो वहीं दूसरी ओर जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JVVNL) ने बड़े पैमाने पर बिजली कटौती करने का निर्णय कर लिया है। इससे राजस्थान के लोगों की समस्या और बढ़ सकती हैं।
आपको ध्यान में ला दें कि राजस्थान में बीते 24 घंटें के अंदर सौ  गांवों में कई-कई घंटे बिजली गायब हो चुकी है। छोटे शहर या गाँव ही नहीं बल्कि राजधानी जयपुर में भी दिन में कई बार पावर कट देखने को मिल रहा  है। उधर, श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में सुपर थर्मल पावर प्लांट की 6 इकाइयों में भी उत्पादन रोक दिया गया है। अब यहां सिर्फ दो इकाइयों (एक इकाई 250 मेगावाट और दूसरी इकाई 660 मेगावाट क्षमता) में उत्पादन हो रहा है। आख़िरकार राजस्थान में ये बिजली संकट उत्पन्न क्यों  हुआ? खबरों  अनुसार तो कोयला कंपनियों ने बकाये की वसूली के लिए कोयला सप्लाई करना बंद किया और अब जब कोयले की कमी हो गयी है तो कोयला खदानों में पानी भर जाने से कोयला खुदाई में समस्या आ रही हैं। यही कारण है कि राजस्थान एक बार फिर भारी बिजली की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
बिजली समस्या के पीछे एक कारण कोरोना काल भी बताया जा रहा  है। लॉकडाउन के वक्त  देशभर में ऑफिस बंद रहने पर लोगों ने घरों से काम किया और उस वक्त  बिजली का जमकर उपयोग  किया गया था। देश की बात करें तो ऊर्जा मंत्रालय के एक आंकड़े के अनुसार  2019 में अगस्त-सितंबर माह  में बिजली की कुल खपत 10 हजार 660 करोड़ यूनिट प्रतिमाह थी। यह आंकड़ा 2021 में बढ़कर 12 हजार 420 करोड़ यूनिट प्रति माह  तक पहुंच गया है।

वहीं राजस्थान के बिजली समस्या पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि” राजस्थान में बिजली वयवस्था पूरी तरह से ढह गयी है। राज्य सरकार का बिजली की कमी के लिए बारिश को दोष देना सही नहीं  है। बरसात इस बार ही थोड़ी आई है। हमारी सरकार के दौरान कभी इस तरह की परेशानी  नहीं आई क्योंकि हम कोयले का पैसा वक्त  पर देते थे और अपनी डिमांड भी समय पर करते हैं। ये सरकार न तो कोयले का पैसा देती है और न ही समय पर डिमांड करते हैं ऐसे में कोयला कहां से आएगा?” आपको बता दें विशेषज्ञों का मानना है कि कोयले की कमी से देश के अन्य राज्य भी परेशानियों का सामना कर रहे है जिसका असर बिजली उत्पादन पर पड़ना स्वभाविक है!

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