भारत में अब सेमीकंडक्टर चिप्स का निर्माण शुरू हो चुका है। देश को अक्टूबर तक अपनी पहली ‘मेड इन इंडिया’ सेमीकंडक्टर चिप मिल सकती है। यह जानकारी आईटी मिनिस्ट्री के मंत्री अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय बजट 2025 की घोषणाओं के दौरान दी। उनका कहना है कि गुजरात के धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन (PSMC) द्वारा देश का पहला सेमीकंडक्टर फैब प्लांट स्थापित किया जा रहा है।
धोलेरा प्लांट में तेजी से काम जारी
यह प्लांट सितंबर या अक्टूबर तक काम करने लगेगा, जिससे भारत अपनी पहली सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन शुरू कर सकेगा। इस प्लांट की शुरुआत मार्च 2024 में हुई थी, लेकिन अब जानकारी सामने आई है कि यह चिप पहले से निर्धारित समय से एक साल पहले ही तैयार हो जाएगी। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पावरचिप के इस साझे प्रयास से भारतीय बाजार में पहली मेड इन इंडिया चिप मिलने की राह काफी तेज़ हो गई है।
91 हजार करोड़ रुपये का निवेश और टाटा का बड़ा कदम
टाटा ग्रुप ने धोलेरा में यह सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने के लिए करीब 91,000 करोड़ रुपये का भारी निवेश किया है। लगभग 160 एकड़ जमीन पर यह प्लांट बनने जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से सरकारी सब्सिडी मिल रही है, जिससे 70 प्रतिशत तक खर्च कवर होने का अनुमान है। इसके अलावा, इस प्रोजेक्ट से करीब 20,000 नए स्किल्ड जॉब्स पैदा होने की संभावना है।
टाटा ग्रुप ने ताइवानी कंपनी पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन के साथ साझेदारी की है, जो इस प्लांट के निर्माण और संचालन में मदद करेगी।
गैलियम नाइट्राइड पर हो रहा है काम
अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय बजट के दौरान यह भी बताया कि सरकार ने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु को गैलियम नाइट्राइड (GaN) पर शोध और विकास के लिए 334 करोड़ रुपये का बजट दिया है। यह तकनीक टेलीकॉम और पावर सेक्टर में इस्तेमाल की जाएगी। गैलियम नाइट्राइड से बने सेमीकंडक्टर, सिलिकॉन से सस्ते होते हैं और यह उच्च शक्ति और उच्च आवृत्ति वाले अनुप्रयोगों के लिए बेहतर होते हैं।
IISc ने हाल ही में भारत का पहला ई-मोड GaN पावर ट्रांजिस्टर विकसित किया है, जो कि अब तक के कुछ सर्वश्रेष्ठ ट्रांजिस्टर के बराबर माना जा रहा है। इसके अलावा, इस तकनीक को भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक नई दिशा देने की उम्मीद जताई जा रही है।
भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण की भविष्यवाणी
वैष्णव ने यह भी बताया कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में पिछले दिनों 13,162 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, और आने वाले समय में कई और निवेश होने की संभावना है। इसके अलावा, 234 यूनिवर्सिटीज में सेमीकंडक्टर डिजाइनिंग के लिए छात्रों को नवीनतम उपकरण दिए जा रहे हैं।
आईटी मंत्रालय ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) 1.0 को पूरा करने के लिए भी कई कदम उठाए हैं, जिसमें सेमीकंडक्टर लैब, मोहाली का आधुनिकीकरण अभी बाकी है। एक बार यह पूरा हो जाने के बाद मंत्रालय ISM 2.0 पर काम करेगा।
आईएसएम 2.0 की तैयारी में सरकार
आईटी मंत्रालय इस समय आईएसएम 2.0 की तैयारी कर रहा है, जो सेमीकंडक्टर उत्पादन में एक नई क्रांति लाने की दिशा में कदम होगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद ISM 2.0 के लिए बजटीय आवंटन का खुलासा किया जाएगा।