इंदौर के युवाओं ने पेश की मिसाल, शहीद के परिवार को घर बनवा कर दिया तोहफा

झोंपड़ी में रह रहे शहीद के परिवार को 27 साल बाद मिली छत
झोंपड़ी में रह रहे शहीद के परिवार को 27 साल बाद मिली छत

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इंदौर के बेटमा के युवाओं ने शहीद के परिवार को 27 साल बाद पक्का घर बनवाकर तोहफे में दिया। गांव के युवाओं ने अपनी हथेलियों पर शहीद की पत्नी को पैर रखवाकर घर में प्रवेश करवाया।

सीमा सुरक्षा बल के जवान मोहन सिंह सुनेर 27 साल पहले असम में शहीद हो गए थे। उनका परिवार अब तक झोंपड़ी में गुजर-बसर कर रहा था। गांव के कुछ युवाओं ने उन्हें पक्का मकान देने के लिए एक अभियान चलाया जिसमें देखते ही देखते 11 लाख रुपये जमा हो गए।

गांववालों ने इसमें से 10 लाख रुपये से शहीद के परिवारवालों के लिए एक मकान तैयार कराया और 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहीद की पत्नी को गृहप्रवेश भी करवाया।

नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ

शहीद के परिवार हालत देखकर क्षेत्र के कुछ युवाओं ने ‘वन चेक-वन साइन’ नाम से अभियान शुरू किया। मकान बनाने के लिए 11 लाख रुपये इकट्ठा भी हो गए, जिससे दस लाख रुपए में शहीद मोहन सिंह सुनेर का घर तैयार हो गया। बचे हुए एक लाख रुपये से मोहन सिंह की प्रतिमा को तैयार किया गया है।

असम में तैनात थे मोहन सिंह

सुमेर सिंह असम में पोस्टिंग के दौरान 31 दिसंबर 1992 को शहीद हो गए थे। उनका परिवार तब से झोंपड़ी में रह रहा था। जब वे शहीद हुए उस समय उनकी पत्नी गर्भवती थीं और उनका एक तीन साल का बेटा भी था।

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