नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस डेस्क। कोरोना के फैलते संक्रमण को रोकने के लिए अधिकतर देशों ने लॉकडाउन का सहारा लिया हुआ है, लेकिन दुनिया में एक ऐसा भी देश है, जहां कोरोना के खौफ से न तो बार-रेस्त्रां बंद, न दुकानें और न ही स्कूल। इस देश का नाम है स्वीडन, जहां कोविड-19 के संक्रमण के मामले 18 हजार के पार हो चुके हैं। जबकि खतरनाक वायरस 2,194 लोगों की जान ले चुका है। इसके बावजूद स्वीडन ने अपने देश में रेस्त्रां, बार, दुकानें और स्कूल खोल रखे हैं। दुनियाभर में स्वीडन के अलग तरह से कोरोना से लड़ने के तरीके की चर्चा हो रही है, लेकिन कई लोग सरकार की व्यवस्था पर सवालिया निशान भी उठा रहे हैं।
सबसे पहले हम आपको ये बता दें कि स्वीडन में बार-रेस्त्रां, दुकानें और स्कूल खोलने का फैसला किसी राजनीतिक दल द्वारा नहीं, बल्कि देश के बड़े डॉक्टरों द्वारा लिया गया है। कोरोना से लड़ने के लिए देश के संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ एन्डर्स टेगनेल ने रणनीति तैयार की है, जिसकी देश के काफी लोग प्रशंसा भी कर रहे हैं।
हालांकि, कोरोना काल में भी यहां बार खुले जरूर हैं, लेकिन इसके लिए नियम बनाया गया है। इन नियमों के मुताबिक, बार में कोई भी खड़ा नहीं रहेगा। साथ ही, प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे से करीब 5 फीट की दूरी बनाकर रखेगा। इसके अलावा किसी एक जगह पर 50 से ज्यादा लोगों की भीड़ इकट्ठा होने पर भी रोक लगी हुई है। अधिकारियों ने रविवार को ये भी बताया कि जो लोग रेस्त्रां और बार में नियम तोड़ते दिखाई दे रहे हैं, इसके खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है।
जहां दुनिया के ज्यादातर देशों में लोग कोरोना के खौफ से घर में कैद रहने पर मजबूर हैं, वहां स्वीडन में लोग पार्क में घूम रहे हैं और सनबाथ भी ले रहे हैं। डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ हद तक वायरस से एक्सपोजर के साथ आम लोगों में इम्यूनिटी डेवलप करने का काम किया जा रहा है। वहीं, जिन लोगों को अधिक खतरा है, उन्हें बचाने के लिए गाइडलाइन बनाई गई हैं। स्वीडन एक करोड़ की आबादी वाला देश है।
इस बीच कुछ लोगों का आरोप हैं कि अर्थव्यवस्था को लागू रखने के लिए स्वीडन की तरफ से ऐसा किया जा रहा है। हालांकि, इकोनॉमी के क्रैश करने की बात को भी ध्यान में रखकर कोरोना से लड़ाई के लिए नियम बनाए जा रहे हैं। बता दें कि 2009 में आर्थिक संकट पैदा होने की वजह से ग्रीस में सुसाइड के केस में 40 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
एन्डर्स टेगनेल का कहना है कि सभी देशों को किसी न किसी तरीके से हर्ड इम्यूनिटी हासिल करनी ही होगी, ताकि वायरस के संक्रमण की साइकिल को तोड़ा जा सके। उनका ये भी कहना है कि स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम को कुछ हफ्तों में हर्ड इम्यूनिटी हासिल हो सकती है। हालांकि, वायरस से जुड़े सभी सवालों के जवाब उनके पास भी नहीं है, क्योंकि इससे जुड़ी अभी तक ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हो सकी है।