लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी से 60 बच्चों की मौत हुई थी. इस मामले में डॉ कफील को निलंबित किया गया था. निलंबित चल रहे डॉ. कफील अहमद (Kafeel Ahmed) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में याचिका दाखिल कर अपने निलंबन को चुनौती दी थी. इस पर जस्टिस यशवंत वर्मा की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से जानकारी मांगी थी कि डॉ. कफील खान को बीते चार वर्षों से निलंबित क्यों रखा गया है. साथ ही जांच रिपोर्ट दाखिल होने के बाद दोबारा जांच का आदेश देने में 11 माह का समय क्यों लगाया गया. डॉ कफील के खिलाफ अब दोबारा विभागीय जांच नहीं होगी. राज्य सरकार ने दोबारा जांच का अपना आदेश वापस ले लिया है. इस मामले में अब दस अगस्त को मामले की अगली सुनवाई होगी.
प्रमुख सचिव खनिज और भूतत्व विभाग की अगुवाई में हुई जांच के बाद डॉक्टर कफील पर लगाए गए आरोपों में सच्चाई नहीं पाई गई. रिपोर्ट के मुताबिक, कफील ने घटना की रात बच्चों को बचाने की पूरी कोशिश की थी. इस तरह डॉ. कफील पर लगाए गए सभी आरोप गलत पाए गए. जांच की रिपोर्ट गुरुवार को बीआरडी अधिकारियों ने कफील को दी.
कोर्ट द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि डॉ. कफील के खिलाफ 24 फरवरी, 2021 को दोबारा जांच का आदेश वापस ले लिया गया है और अधिकारियों को इस बात की छूट दी गई है कि वो हाईकोर्ट के 29 जुलाई, 2021 के आदेश के परिपेक्ष्य में नए सिरे से कार्यवाही प्रारंभ कर सकते हैं. कोर्ट को सरकार की ओर से यह भी आश्वासन दिया गया है कि विभागीय जांच तीन माह में पूरी करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा.
मामले पर बोलते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत के पास विचारणीय मुद्दा यह रह गया है कि डॉ कफील को पिछले चार वर्षों से निलंबित क्यों रखा गया? याचिका में कहा गया है कि डॉ कफील सहित नौ लोगों के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश हुआ था. इनमें से सात को बहाल कर दिया गया जबकि डॉ. कफील के खिलाफ जांच रिपोर्ट में कोई तथ्य न पाए जाने के बावजूद दोबारा जांच का आदेश दिया गया, और उसे अब तक निलंबित रखा गया है. कोर्ट के इस सवाल पर राज्य सरकार ने अपनी सफाई पेश की है.