अबतक आपने कई लाइलाज बीमारियों के बारे में सुना होगा. ऐसी ही एक रहस्यमयी फंगस की बीमारी इन दिनों लोगों की चिंता का विषय बनी हुई है. इस फंगस पर सभी दवाइयां बेअसर है जिस वजह से यह जानलेवा है. सबसे परेशानी की बात ये है कि ‘कैंडिडा ऑरिस’ नाम के इस फंगस का न ही कोई इलाज है और न ही ये मरीज की मौत के बाद नष्ट हो रहा है. इसके बाद भी ये दूसरे व्यक्तियों में फैल रहा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच साल में, इससे वेनेजुएला की एक नवजात इकाई, स्पेन का एक हॉस्पिटल बुरी तरह प्रभावित हुआ. यहां तक कि इसके कारण एक जाने-माने ब्रिटिश मेडिकल सेंटर को अपना आईसीयू बंद करना पड़ा. अब ये फंगस अपनी जड़ें भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में जमा रहा है. यह फंगस उन्हें अपना शिकार बनाता है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है. इसकी चपेट में आने से अब तक कई लोग अपनी जान गवां चुके हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, इसका पहला मरीज पिछले साल मई में कलिन में मिला था. उसके ब्लड टेस्ट से पता चला था कि वह एक रहस्यमयी फंगस से पीड़ित हैं. इसके बाद डॉक्टर्स ने उन्हें इन्टेन्सिव केयर यूनिट में शिफ्ट किया था. लेकिन उनकी मौत के बाद फंगस से ग्रसित कई मामले सामने आए.
यूएस और यूरोप के बाद अब इस बीमारी ने एशियाई देशों का रुख किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रिका में इस फंगस से पीड़ित कई मामले सामने आ रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यह फंगस व्यक्ति की मौत के बाद मरता नहीं है. क्योंकि माउंट सिनाई हॉस्पिटल में भर्ती कैंडिडा ऑरिस से ग्रसित जिस बुजुर्ग की मौत हो गई थी उसकी मौत के बाद भी कैंडिडा ऑरिस नाम का वायरस मिला था.
2018 में इमरजेंसी इन्फेक्शियस डिजीज में प्रकाशित एक रिसर्च पर नज़र डाले तो 2016 से 2018 तक न्यूयॉर्क में 51 लोग इस कैंडिडा ऑरिस फंगस के शिकार हुए थे. यह संक्रमण सबसे अधिक घाव, ब्लड स्ट्रीम और कान में पाए जा रहे हैं. हालांकि कई दशकों से सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि एंटी बायोटिक्स दवाइयों के ज्यादा उपयोग से इनका प्रभाव कम हो रहा है.
कैंडिडा ऑरिस फंगस पर कई शोध करने के बाद पता चला है कि जो 45 दिन से अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती हैं उन्हें यह फंगस अपनी चपेट में ले रहा है. हालांकि 28 दिन से कम समय में अस्पताल से डिस्चार्ज हो रहे हैं उन्हें इस फंगस से कोई खतरा नहीं है.
अस्तपाल के प्रबंधक डॉ स्कॉट लॉरिन ने बताया कि बुजुर्ग की मौत के बाद भी यह फंगस मरा नहीं. क्योंकि हमें बाद में दीवारें, बिस्तर, दरवाजे, पर्दे, फोन, सिंक, वाइटबोर्ड, चादर, बेड रेल में कैंडिडा ऑरिस मिला था. उन्होंने कहा कि यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि इसपर ऐंटीफंगल मेडिकेशन का भी कोई असर नहीं होता है. डॉ स्कॉट लॉरिन ने यह भी बताया कि कैंडिडा ऑरिस फंगस से 90 दिनों में व्यक्ति की मौत हो जाती है.
2018 में इमरजेंसी इन्फेक्शियस डिजीज में प्रकाशित एक रिसर्च पर नज़र डाले तो 2016 से 2018 तक न्यूयॉर्क में 51 लोग इस कैंडिडा ऑरिस फंगस के शिकार हुए थे. यह संक्रमण सबसे अधिक घाव, ब्लड स्ट्रीम और कान में पाए जा रहे हैं.
कैंडिडा ऑरिस फंगस पर कई शोध करने के बाद पता चला है कि जो 45 दिन से अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती हैं उन्हें यह फंगस अपनी चपेट में ले रहा है. हालांकि 28 दिन से कम समय में अस्पताल से डिस्चार्ज हो रहे हैं उन्हें इस फंगस से कोई खतरा नहीं है.