नई दिल्ली। होली का त्योहार बीत चुका है और अब सभी माता रानी के आगमन की तैयारियों में जुट गए हैं। 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्त्व है। हर साल चार नवरात्रि आती है, दो गुप्त और दो प्रकट नवरात्रि होते हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्र दो प्रकट नवरात्र हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी के अलग – अलग रूपों की आराधना की जाती है। ज्योतिष गणनाओं के मुताबिक इस बार चैत्र नवरात्र पर कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं .
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल 2024 से हो रही है। इसका समापन 17 अप्रैल को होगा। बता दें कि चैत्र नवरात्र के पहले ही दिन यानी घट स्थापना के दिन अभिजीत महत्व के साथ स्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग में पूजा करने से साधक को मनचाहा फल प्राप्त होता है। साथ ही सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्र के दौरान मां दुर्गा धरती पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी की पूजा अर्चना पूरे विधि-विधान के साथ करनी चाहिए। नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना करना माता के आने ख़ुशी में उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। नवरात्रि के आठवें दिन कन्या पूजन अवश्य करें और अपने सामर्थ्य के हिसाब से दक्षिणा दें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्याओं में मां दुर्गा का वास होता है।
बता दें कि चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन राम नवमी मनाई जाती है। इस दिन प्रभु श्री राम की पूजा अर्चना की जाती है। ज्योतिष मान्यताओं के मुताबिक जो साधक पूरे मन और विशि विधान के साथ मां दुर्गा और प्रभु श्री राम का आव्हान कर उनकी आराधना करता है, उसे ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त होती है।