चित्रकूट: चित्रकूट में मन्दाकिनी के राघव घाट पर मंगलवार को पितृ विसर्जनी अमावस्या पर देश-दुनिया के लाखों श्रद्धालुओं ने अपने पितरों को जल देकर तर्पण किया. इसी घाट पर भगवान श्रीराम ने अपने पिता दशरथ के पिंड दान किए थे. यहां सुबह से ही पिंड दान और तर्पण का जो सिलसिला शुरू हुआ वह देर शाम तक जारी रहा. इसके लिए सोमवार की शाम से ही श्रद्धालुओं की भीड़ चित्रकूट में जुटने लगी थी. यहां आए श्रद्धालुओं ने राम घाट और राघव प्रयाग घाट पर पहुंचकर पितरों को जल दिया. इसके साथ चित्रकूट के महाराजाधिराज मत्य गजेंद्रनाथ की पूजा-अर्चना की. इसके बाद कामदगिरि की पंचकोशी परिक्रमा लगाई और सुख समृद्धि की कामना की.
राघव घाट की क्या है मान्यता ?
कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत जगद्गुरु स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम जब चित्रकूट में वनवास काल काटने आए थे तो पिता दशरथ जी की मौत के बाद तर्पण और पिंड दान मन्दाकिनी में ही किया था. तभी से प्रति वर्ष लाखों की संख्या में लोग पितृ विसर्जनी अमावस्या पर चित्रकूट आते हैं. इस दिन लोग अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं
प्रशासन ने किए खास इंतजाम
जिला प्रशासन और पुलिस ने तीन दिवसीय अमावस्या मेला के पुख्ता इंतजाम किए हैं. ट्रेनों-बसों से श्रद्धालुओं के आने, रामघाट पर स्नान और तर्पण करने को लेकर व्यवस्थाओं को चाक चौबंद किया गया. पितृमोक्ष (पितृविसर्जनी) अमावस्या में बुंदेलखंड के साथ आसपास के जिलों और दूसरे प्रांतों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में चित्रकूट पहुंचे. जिलाधिकारी विशाख जी. और पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा ने अफसरों के साथ खुद मेला की कमान संभाली. चित्रकूटधाम कर्वी रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, सीतापुर, बेड़ी पुलिया, शिवरामपुर, रामघाट, कामदगिरि परिक्रमा स्थल में भारी पुलिस फोर्स और अफसर तैनात रहे. सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए वाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल किया गया.