जानें, कौन है वो तीन लोग जो सुलझाएंगे अयोध्या विवाद

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर बड़ा फैसला सुनाया है. रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए तीन सदस्यीय पैनल का भी गठन किया है. इस पैनल में जस्टिस एफएम खलीफुल्ला, धार्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और सीनियर वकील श्रीराम पांचू शामिल है. साथ ही कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए बने पैनल को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 8 हफ्तों का वक्त दिया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केस की मीडिया रिपोर्टिंग पर भी रोक लगा दी है. बता दें कि अयोध्या मामले में इससे पहले भी पहले भी चार बार मध्यस्थता के प्रयास किए गए लेकिन असफल रहे.

जस्टिस एफएम खलीफुल्ला

खलीफुल्ला पैनल की अध्यक्षता करेंगे. तमिलनाडु के रहने वाले जस्टिस खलीफुल्ला सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हैं. जस्टिस खलीफुल्लाह ने 1975 में पहली बार वकालत शुरू की थी. साल 2000 में खलीफुल्ला मद्रास हाई कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किए गए. उसके बाद 2011 में, वह जम्मू और कश्मीर के हाई कोर्ट के सदस्य बने और उन्हें दो महीने बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया.

साल 2011 में, वो जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. उसके बाद साल 2012 में वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. जस्टिस खलीफुल्ला 22 जुलाई 2016 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए.

श्री श्री रवि शंकर

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए श्री श्री रविशंकर का नाम भी दिया है. श्री श्री रविशंकर आध्यात्मिक गुरु है. उनकी संस्था का नाम आर्ट ऑफ लिविंग है. श्री श्री रविशंकर ने अभी हाल ही में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद को लेकर एक विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था,

अयोध्या विवाद का अगर जल्द हल नहीं निकला तो भारत भी सीरिया बन जाएगा. एक टीवी इंटरव्यू में श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि अयोध्या मुसलमानों का धार्मिक स्थल नहीं है, उन्हें इस पर से अपना दावा छोड़ कर एक मिसाल पेश करनी चाहिए. वैसे भी इस्लाम विवादित जमीन पर इबादत करने की इजाजत नहीं देता.

उन्होंने कहा कि फैसला कोर्ट से आया तो भी कोई राजी नहीं होगा. अगर फैसला कोर्ट से होगा तो किसी एक पक्ष को हार स्वीकार करनी पड़ेगी. ऐसे हालात में हारा हुआ पक्ष अभी तो मान जाएगा, लेकिन कुछ समय बाद फिर बवाल शुरू होगा. जो समाज के लिए अच्छा नहीं होगा

श्रीराम पंचू

श्रीराम पंचू एक सीनियर वकील है और जाने माने मध्यस्थ हैं. वह द मेडिएशन चेम्बर्स के संस्थापक हैं, जो मध्यस्थता की सेवाएं देता है. इसके अलावा वो भारतीय मध्यस्थों के संघ के अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थान (IMI) के बोर्ड में डायरेक्टर हैं. उन्होंने 2005 में भारत का पहला कोर्ट-एनेक्स मध्यस्थता सेंटर बनाया था. उन्होंने मध्यस्थता को भारत की कानूनी प्रणाली का हिस्सा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

श्री पंचू कंस्ट्रक्शन और प्रॉपर्टी डेवलपमेंट, प्रॉपर्टी विवाद, फैमिली बिजनेस इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी विवाद का हल निकालने में माहिर जाने जाते हैं.

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