भगवान के घर से निकाले गए तेरह सौ कर्मचारी, देश के सबसे अमीर मंदिर में हुई छंटनी

नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। कोरोना संक्रमण के चलते देश में चल रहे लॉक डाउन के साइड इफेक्ट्स सामने आने लगे हैं। इस दौरान सभी धार्मिक स्थल, मंदिर बंद हैं। इस बीच एक बुरी खबर सामने आयी है। हिन्दुओं के सबसे अमीर और बड़े तीर्थ स्थल तिरुपति बाला जी मंदिर ने ने तकरीबन 1300 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं खत्म करने का ऐलान किया है। इस खबर के बाद कर्मचारियों के आगे रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। ये सभी मंदिर की साफ-सफाई की व्यवस्था से जुड़े थे। एक मई से इन सभी कर्मचारियों से काम पर न आने के लिये कहा गया था। आपको बता दें कि तिरुपति बाला जी मंदिर में देश-दुनिया से लाखों श्रद्धालु आते हैं, गुप्त दान और भगवान को चढ़ावा समर्पित करते हैं। लेकिन लॉक डाउन से हालात बदल गये हैं। सोशल डिस्टैंसिंग जैसे नियमों का पालन करने के लिये जारी दिशा-निर्देश के बाद महीने भर से ज्यादा हो गया है, मंदिर बंद है।

मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ने दी जानकारी
आपको बता दें कि मैन पावर की आपूर्ति करने वाली कंपनी को खबर दी गयी थी कि 30 अप्रैल को समाप्त होने वाले कॉन्ट्रैक्ट का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष वाई वी सुब्बा रेड्डी ने मुंबई मिरर जानकारी देते हुये बताया कि उनकी सेवाएं बंद कर दी गई हैं। उन्होंने कहा, “इस मामले को मेरे संज्ञान में लाया गया है। हम उनकी मदद करने की कोशिश करेंगे।” रेड्डी ने कहा कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) (Tirumala Tirupati Devasthanams) के नियमित कर्मचारियों को भी कोई काम नहीं सौंपा गया है।

हटाये गये कर्मचारियों की अपील

वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए टीटीडी का बजट 3,309 करोड़ रुपये है। फरवरी में तय किए गए प्रस्तावों को कोरोना महामारी फैलने के बाद सभी की समीक्षा की जा सकती है। पीड़ित श्रमिकों ने टीटीडी प्रशासन से अपील की है कि वे कोरोना वायरस संकट के दौरान उन्हें अपना काम जारी रखने दें। हालांकि, TTD प्रशासन मौजूदा मैन पावर फर्म के साथ कॉन्ट्रैक्ट को रिन्यू करने के लिए तैयार नहीं है।

ट्रेड यूनियन सामने आया
मंदिर ट्रस्ट द्वारा लिये गये इस फैसले की ट्रेड यूनियनों ने कड़ी आलोचना की है। भारतीय व्यापार संघ (सीटू) ने एक बयान में कहा कि ‘श्रमिक जिन्होंने हर वक्त मंदिर की स्वच्छता और रखरखाव का ध्यान रखा, श्रद्धालुओं की सेवा के लिए अपना जीवन जोखिम में डाल दिया और संकट के वक्त उन्हें ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।’ कोरोना वायरस महामारी के दौर में 1300 श्रमिकों को निकाले जाने पर अब सवाल उठने लगे हैं।

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