तिरुपति प्रसादम: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका खारिज की, स्वतंत्र SIT जांच के आदेश

आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। इस मामले में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए केंद्र सरकार की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस विवाद की निष्पक्ष जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेष जांच दल (SIT) बनाने के निर्देश दिए हैं।

केंद्र सरकार की दलीलें और कोर्ट का फैसला

सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार इस मामले में अपना जवाब शुक्रवार को प्रस्तुत करेगी, जिसके चलते सुनवाई एक दिन के लिए टाल दी गई थी। हालांकि, जस्टिस गवई ने केंद्र की दलीलों पर ध्यान नहीं देते हुए स्वतंत्र SIT की स्थापना की आवश्यकता को रेखांकित किया। उनका कहना था कि इस विवाद की गंभीरता को देखते हुए एक निष्पक्ष जांच आवश्यक है।

लड्डू विवाद का पृष्ठभूमि

तिरुपति बालाजी मंदिर, जो कि भगवान वेंकटेश्वर का प्रमुख तीर्थ स्थल है, वहां के प्रसाद लड्डू की कीमत को लेकर पिछले कुछ समय से विवाद चल रहा है। मंदिर प्रशासन पर आरोप लग रहे हैं कि वह लड्डू की बिक्री में पारदर्शिता नहीं बरत रहा है और कुछ प्रबंधन संबंधी निर्णयों में अनियमितताएं हो रही हैं। इस मुद्दे ने तीर्थ यात्रियों और भक्तों के बीच भारी चर्चा का विषय बन गया है, जिससे मामला अदालत तक पहुंचा।

एसआईटी जांच की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि SIT की जांच स्वतंत्र रूप से होगी और इसे पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाएगा। इस तरह की कार्रवाई का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि तिरुपति मंदिर में प्रसाद के वितरण और प्रबंधन में किसी भी प्रकार की अनियमितता या भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

भविष्य की सुनवाई और संभावित नतीजे

अगली सुनवाई में केंद्र सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले उत्तर पर अदालत की नजरें रहेंगी। न्यायालय ने यह भी कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कोई भी निर्णय तुरंत लिया जाएगा। कोर्ट की यह कार्रवाई भक्तों की अपेक्षाओं को पूरा करने और मंदिर की पारदर्शिता को बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।

इस प्रकार, तिरुपति बालाजी मंदिर का लड्डू विवाद न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रशासनिक पारदर्शिता और सार्वजनिक विश्वास के मुद्दे से भी जुड़ा हुआ है। अदालत की यह पहल इस विवाद को सुलझाने में एक नया मोड़ ला सकती है, जिससे भक्तों का मंदिर प्रशासन में विश्वास पुनर्स्थापित हो सकेगा।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles