दिल्ली को मिल गया कोरोना का तोड़? ट्रायल के नतीजे उत्साहजनक: केजरीवाल

नई दिल्ली : कोरोना से बेहाल राजधानी दिल्ली के लिए अच्छी खबर आयी है। कोरोना संक्रमण की पहली स्टेज में प्लाज़्मा थेरेपी कारगर साबित हुई है ,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह उत्साहजनक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित चार लोगों को मंगलवार को प्लाज्मा दिया गया था. परिणाम बहुत अच्छे रहे। हालत में सुधार होने के वजह से इन चार मरीजों में से दो को जल्द अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है. केजरीवाल ने बताया कि शेष दो मरीजों की हालत में भी सुधार हो रहा है।

सीएम केजरीवाल ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी के प्रयोग की अनुमति हमने केंद्र सरकार से ली थी. केंद्र सरकार ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल चार गंभीर संक्रमितों पर ही प्लाज्मा थेरेपी के प्रयोग की अनुमति दी थी। नतीजों का ब्यौरा माँगा था। केंद्र ने कहा था कि प्लाज़्मा थेरेपी के नतीजे अगर ठीक आये तब ही दिल्ली सरकार को बाकी मरीज़ों पर इसके इस्तेमाल की अनुमति दी जाएगी। सीएम केजरीवाल ने बताया कि फिलहाल अगले दो-तीन दिन और हम ट्रायल करेंगे। उसके बाद केंद्र से व्यापक अनुमति मांगने पर निर्णय लिया जाएगा।

उम्मीद है केंद्र से अनुमति मिल जाएगी
सीएम केजरीवाल ने कहा कि शुरूआती परिणाम उत्साहजनक हैं, और उम्मीद है कि केंद्र से इजाजत भी जल्द मिल जाएगी. इजाजत मिलाने के बाद दिल्ली के सभी अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत कर दी जाएगी। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उम्मीद की किरण नजर आ रही है। प्लाज़्मा थेरेपी में सबसे अहम रोल डोनर का है, जो कोरोना से ठीक हो गया और आकर अपना प्लाज्मा डोनेट करता है।
क्या है प्लाज़्मा थेरेपी
यहाँ बता दें कि खून में 55 फीसदी हिस्सा प्लाज़्मा होता है ,जिसमें रोग से लड़ने वाले एंटीबॉडीज़ मौजूद रहते हैं। जो मरीज़ कोरोना से ठीक हो जाते हैं उसकी वजह यह होती है कि उनके शरीर में बनने वाले एंटीबॉडीज़ कोरोना को हरा देते हैं। प्लाज़्मा थेरेपी के तहत ठीक हो गए मरीज़ों के खून से प्लाज़्मा अलग करके संक्रमण से जूझ रहे लोगों में चढ़ाया जाता है। ऐसे में जो ऐंटीबौडीज़ संक्रमित के शरीर में पहुँचते हैं वो कोरोना को परास्त करने में उसके मददगार बनते हैं। इसके लिए ठीक हुए मरीज़ों से ब्लड डोनेट करवाया जाता है ताकि उसमें से प्लाज़मा निकाला जा सके.शेष आरबीसी-डब्लूबीसी दानदाता के शरीर में वापस चढ़ाया जा सकता है।

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