ट्रंप प्रशासन ने संघीय व्यापार अदालत को भरमाने के लिए भारत-पाकिस्तान के बीच कथित संघर्षविराम का हवाला दिया, लेकिन उसकी दाल नहीं गली। फेडरल ट्रेड कोर्ट (FTC) ने भारत-चीन समेत कई अन्य देशों पर आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले पर रोक लगा दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ में बड़ी वृद्धि करने का ऐलान करते हुए बीते 2 अप्रैल को अमेरिका के लिए ‘मुक्ति दिवस’ घोषित किया था। हालांकि, 9 अप्रैल को नई घोषणा हुई कि चीन, कनाडा और मैक्सिको को छोड़कर बाकी सभी देशों को रेसिप्रोकल टैरिफ से 90 दिनों की राहत दी जा रही है। रेसिप्रोकल टैरिफ के तहत ट्रंप प्रशासन ने संबंधित देश से आयातित सामानों पर अमेरिका में टैक्स की वही दर तय कर दी थी जिस दर से वह देश अपने यहां अमेरिकी सामानों पर टैक्स वसूलता है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़े मामलों और फैसलों की समीक्षा करने वाली अमेरिका की संघीय अदालत ने अब ट्रंप प्रशासन के रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी पर ही रोक लगा दी। ट्रंप प्रशासन ने अपने फैसले के बचाव में कोर्ट के सामने भारत-पाकिस्तान के बीच कथित संघर्ष विराम का श्रेय व्यापारिक रणनीतियों को दे दिया। ट्रंप प्रशासन ने कोर्ट के सामने दावा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान को अमेरिका से व्यापारिक रिश्ते और मजबूत करने का भरोसा दिलाकर सैन्य संघर्ष को युद्ध में परिवर्तित होने से रोकने में सफलता पाई।
हालांकि, कोर्ट को ट्रंप प्रशासन की यह दलील नहीं भाई और उसने साफ-साफ कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने कानूनी अधिकार का अतिक्रमण किया है। न्यूयॉर्क स्थित अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय के तीन न्यायाधीशों के एक पैनल ने बुधवार को अपने फैसले में साफ-साफ कहा कि उसे इससे कोई लेना-देना नहीं कि राष्ट्रपति ने टैरिफ का कितना रणनीतिक उपयोग किया और इस रणनीति का क्या असर होना है।
ट्रंप प्रशासन की दलील- भारत-पाकिस्तान के बीच रुकवाया संघर्ष
ट्रंप प्रशास ने 23 मई को संघीय अदालत में एक आवेदन दायर किया था। इसमें अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड डब्ल्यू लुटनिक ने ट्रम्प की ओर से आपातकालीन शक्तियों के प्रयोग से भारी टैरिफ लगाने का बचाव किया। उन्होंने इस कदम को विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण बताया। लुटनिक ने यह दलील डेमोक्रेट पार्टी के शासन वाले 12 राज्यों के अटॉर्नी जनरल की ओर से दायर मुकदमे के जवाब में दी थी। इन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि ट्रम्प ने टैरिफ लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) का अवैध और मनमाना उपयोग किया है।
ल्यूटनिक ने चेतावनी दी कि IEEPA के तहत राष्ट्रपति के अधिकार को प्रतिबंधित करने से हर उस क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा जिसमें आर्थिक साधनों का रणनीतिक प्रभाव के लिए उपयोग किया जाता है। अदालत के सामने स्थिति स्पष्ट करने के लिए उन्होंने एक उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा, ‘दो परमाणु शक्ति संपन्न देश भारत और पाकिस्तान सिर्फ 13 दिन पहले सैन्य संघर्ष में जुटी थीं, लेकिन दोनों 10 मई के बीच संघर्षविराम हो गया। यह संघर्ष विराम राष्ट्रपति ट्रम्प के हस्तक्षेप के बाद ही हासिल किया गया। उन्होंने दोनों देशों को पूर्ण पैमाने पर युद्ध टालने के लिए अमेरिका के साथ व्यापार करने की पेशकश की।’
राष्ट्रपति को कानूनी अधिकार के उपयोग से रोका तो…
ल्यूटनिक ने आगे चेतावनी दी कि इस मामले में राष्ट्रपति की शक्ति को बाधित करने वाला प्रतिकूल फैसला आया तो भारत और पाकिस्तान राष्ट्रपति ट्रम्प की तरफ से दिए गए ऑफर की वैधता पर सवाल उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ तो पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और लाखों लोगों के जीवन को खतरा हो सकता है। ल्यूटनिक ने कोर्ट में यह भी तर्क दिया कि टैरिफ स्ट्रैटिजी ने चीन को व्यापार पर बातचीत में प्रभावी रूप से दबाव में ला दिया। उन्होंने दावा किया कि टैरिफ ने बीजिंग को बातचीत की मेज पर आने के लिए मजबूर किया। अमेरिका ने बीजिंग पर अमेरिका में भरपूर नशीली दवाएं भेजने और अमेरिका से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की नौकरियां छीनने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस पार्टी को मिला पीएम पर हमले का एक और मौका
इधर, कांग्रेस पार्टी ने अमेरिकी कोर्ट में ल्युटनिक के दिए बयान का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला तेज कर दिया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक एक्स पोस्ट में पीएम से चुप्पी तोड़ने को कहा।
प्रधानमंत्री को देश को यह बताना चाहिए कि क्या यह सच है कि अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक ने 23 मई 2025 को न्यूयॉर्क स्थित यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड में एक बयान दायर कर कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक ‘कमज़ोर युद्धविराम’ कराने और ‘नाजुक…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 28, 2025
ट्रंप के दावे को खारिज कर चुका है भारत
ध्यान रहे कि भारत ने ट्रम्प और उनकी कैबिनेट के इस दावे को दृढ़ता से खारिज किया है कि 10 मई को हुए युद्ध विराम में अमेरिका की भूमिका थी। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, दोनों देशों के सैन्य नेतृत्व के बीच सीधी बातचीत हुई जिसके बाद सैन्य संघर्ष रोकने पर तात्कालिक सहमति बनी। भारत ने कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल के भयंकर आतंकी हमले के जवाब में 6-7 मई की रात पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला बोला था। ऑपरेशन सिंदूर के तहत के तहत भारतीय सेना की कार्रवाई के खिलाफ पाकिस्तानी सेना ने कदम उठाए जिसके कारण पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैन्य ठिाकनों को निशाना बनाया और उनके कई एयरबेस ध्वस्त कर दिए।