भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चली लड़ाई में पाकिस्तान ने भारी मात्रा में तुर्की के दिए ड्रोन्स का इस्तेमाल किया. अब इस संबंध में नई जानकारी सामने आई है जिसके मुताबिक, दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार अलग-अलग हमलों में कुल 350 से अधिक टर्किश ड्रोन्स का इस्तेमाल हुआ. एक सूत्र के मुताबिक, पाकिस्तान में मौजूद तुर्की के सैन्यकर्मी भारत के खिलाफ ड्रोन हमलों में शामिल थे.
तुर्की पर नया खुलासा
सूत्र ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत पर ड्रोन हमले करने में तुर्की के सलाहकारों ने पाकिस्तानी सेना की मदद की थी. सूत्र ने यह भी बताया कि भारत की जवाबी कार्रवाई में तुर्की के दो ड्रोन ऑपरेटर भी मारे गए हैं. पाकिस्तान ने कथित तौर पर भारत के खिलाफ टीबी2 ड्रोन्स और YIHA ड्रोन्स का इस्तेमाल किया. माना जाता है कि इन ड्रोनों का इस्तेमाल लक्ष्य निर्धारण और खुद को नष्ट कर दुश्मन को नुकसान पहुंचाने के लिए जाता है.
तुर्की ने हर तरीके से पाकिस्तान की मदद की
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया जिसमें 26 लोग मारे गए और 17 से ज्यादा घायल हुए. इस हमले के दो आतंकियों के तार पाकिस्तान से जुड़े जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाए जिसमें 1960 का सिंधु जल समझौता रद्द करना भी शामिल था.विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर सियाचिन से सर क्रीक तक 36 जगहों पर लगभग 300-400 ड्रोनों के साथ हमले की कोशिश की गई. उन्होंने बताया कि ड्रोन के मलबे की फोरेंसिक जांच की जा रही है और प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चलता है कि ड्रोन्स तुर्किए से आए एसिसगार्ड कंपनी के सोंगर ड्रोन हैं.