दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपी उमर खालिद को कड़कड़डूमा कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने बुधवार को उमर खालिद को 7 दिनों की अंतरिम जमानत दी है। उमर खालिद ने अपनी मौसेरी बहन और भाई की शादी में शरीक होने के लिए जमानत मांगी थी। यह जमानत उन्हें 28 दिसंबर से लेकर 3 जनवरी तक के लिए दी गई है।
उमर खालिद की जमानत की डिटेल्स
फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए बड़े दंगों के पीछे साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किए गए उमर खालिद को पिछले चार साल से जेल में बंद रखा गया है। अब कोर्ट ने उन्हें 7 दिन की अंतरिम जमानत दी है, जो कि एक तरह से उन्हें अपने परिवार के साथ त्योहार मनाने का मौका देती है। उमर खालिद ने जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने 10 दिनों की जमानत मांगी थी ताकि वह अपनी मौसेरी बहन और भाई की शादी में शामिल हो सकें। हालांकि, कोर्ट ने उन्हें केवल 7 दिन की जमानत दी है।
दिल्ली दंगों का संदर्भ
दिल्ली दंगों में हुई हिंसा ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। फरवरी 2020 में हुए इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। दंगों के दौरान कई दुकानें, घर और गाड़ियां भी जल गईं, जिससे भारी तबाही हुई। इस हिंसा के बाद यह आरोप लगाए गए थे कि उमर खालिद और कुछ अन्य लोगों ने इन दंगों की साजिश रची थी। इसके बाद उनके खिलाफ UAPA (Unlawful Activities (Prevention) Act) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
उमर खालिद पर लगाए गए आरोप
उमर खालिद पर आरोप है कि उन्होंने दंगों की साजिश रचने में अहम भूमिका निभाई थी। उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप हैं, जिसमें दिल्ली दंगों को लेकर व्यापक साजिश रचने का आरोप भी शामिल है। इन दंगों को लेकर कई लोगों का कहना था कि यह योजना पूर्व नियोजित थी, और इसका उद्देश्य राजधानी दिल्ली में समुदायों के बीच हिंसा फैलाना था।
चार साल से जेल में बंद उमर खालिद
उमर खालिद पिछले चार साल से जेल में बंद हैं, और इस दौरान उनकी जमानत की कई बार कोशिश की गई, लेकिन अदालतों ने उन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया। अब, कोर्ट ने उन्हें शादी में शामिल होने के लिए यह राहत दी है। कोर्ट की ओर से दी गई यह राहत उमर खालिद के लिए किसी राहत से कम नहीं है, क्योंकि उन्हें लंबे समय से इस मामले में सजा का सामना करना पड़ रहा है।
यह अंतरिम जमानत उमर खालिद को राहत देने वाली तो है, लेकिन यह पूरी तरह से मामले के समापन की ओर इशारा नहीं करती। अभी भी उमर खालिद पर कई गंभीर आरोप कायम हैं, और इस मामले में जांच जारी है।
इस फैसले से यह भी साबित होता है कि अदालतें मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए फैसले लेती हैं, लेकिन मानवाधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को भी जरूरी मानती हैं। उमर खालिद को मिली अंतरिम जमानत के फैसले के बाद, यह देखना बाकी है कि आगे इस मामले में क्या निर्णय लिया जाएगा।