गूगल मैप्स की सेटेलाइट इमेजरी ने भारत के केरेला में कोच्ची के समुद्र तट पर अरेबियन सागर में एक बीन के जैसे दिखने वाला द्वीप होने की जानकारी दी है. अब इस सूचना को लेकर विशेषज्ञ छानबीन में लग गए हैं. चेल्लानम करशिका टूरिज्म डेवेलपमेंट सोसायटी के लिखे पत्र के बाद केरेला की फिशरीज यूनिवर्सिटी के अधिकारी इस मामले की जांच करेंगे
गूलग मैप से मिले इस तरह के संकेत ने सभी की जिज्ञासा बढ़ा दी है जिसमें आमजन के साथ विशेषज्ञ भी शामिल हैं. पत्र लिखने वाली संस्था का कहना है कि वो पिछले चार सालों से इसे महसूस कर रहे हैं लेकिन इसके साइज में कोई बदवाव नहीं हुआ है. संस्था के प्रेसीडेंट के. एक्स. जुलप्पन ने 5 जून को फेसबुक पर गूगल मैप का स्क्रीन शॉट शेयर किया था जिसमें दर्शाया गया था कि ये स्ट्रक्चर पोर्ट गेट से 7 किमी पर स्थित है.ये भी दावा किया गया था कि ये 8 किमी लंबा और 3.5 किमी चौड़ा है.
जिस तरह से पानी के नीचे स्ट्रक्चर होने की सूचना सामने आई है तो इसकी स्टडी होनी चाहिए. संस्था ने ये भी कहा कि इसका पानी की धारा और तटीय कटाव पर क्या असर पड़ेगा या फिर इसका रेत कृत्रिम तट संरक्षण में उपयोग किया जा सकता है, ये जानने की जरूरत है. ऐसे कई सवाल हैं जिसके लिए इस सूचना की स्टडी जरूरी हो जाती है
केरेला फिशरीज यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रिजी जॉन का कहना है कि इस सूचना के बारे में ज्यादा तभी कहा जा सकता जब इसकी इंवेस्टीगेशन हो जाए. तभी हम किसी नतीजे या फिर आधार पर पहुंच सकते हैं. उन्होंने कहा कि गूगल मैप पर देखकर तो यही लगता है कि ये वैसा ही अंडरवॉटर स्ट्रक्चर है जैसा हम दुनिया में देखते हैं. लेकिन हमें ये नहीं पता कि ये किस चीज से बना है. ये मिट्टी से बना है या फिर रेत से, ऐसे कई सवालों के जवाब इसकी इंवेस्टीगेशन और स्टडी से ही मिल सकते हैं. वाइस चांसलर ने ये भी कहा कि स्टडी करने के लिए एक्सपर्ट से सुझाव लिए जाएंगे और उंहे इसकी जांच में शामिल भी किया जाएगा.