भारत बनेगा न्यूक्लियर पावर हब, सरकार ने 20 हजार करोड़ रुपये की भारी राशि का किया ऐलान

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025 का बजट पेश करते हुए एक बड़ा ऐलान किया है। भारत अब परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई दिशा की ओर बढ़ेगा और 2047 तक न्यूक्लियर पावर हब बनने की दिशा में कदम बढ़ाएगा। वित्त मंत्री ने न्यूक्लियर सेक्टर के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का भारी बजट आवंटित किया है, जिसे एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। इसके साथ ही, परमाणु ऊर्जा मिशन के तहत भारत में 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी का विकास करने का लक्ष्य रखा गया है। यह कदम भारत को परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

न्यूक्लियर ऊर्जा के लिए सरकार का बड़ा ऐलान

2025 के बजट में परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन किए जाएंगे। यह घोषणा भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह कदम भारतीय ऊर्जा पर निर्भरता को कम करने और वैश्विक स्तर पर भारतीय न्यूक्लियर पावर सेक्टर को एक नई पहचान दिलाने के लिए अहम साबित हो सकता है।

जहाज निर्माण को मिलेगी वित्तीय सहायता

न केवल न्यूक्लियर ऊर्जा, बल्कि वित्त मंत्री ने यह भी ऐलान किया कि सरकार जहाज निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई योजना शुरू करेगी। जहाज निर्माण समूहों को आर्थिक सहायता दी जाएगी और इस क्षेत्र में सुधार लाए जाएंगे। यह कदम भारत को समुद्री क्षेत्र में एक मजबूत शक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए उठाया जा रहा है।

भारत की आर्थिक सफलता पर दुनिया का ध्यान

अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी से बढ़ती स्थिति पर भी बात की। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने बहुत अच्छे विकास रिकॉर्ड हासिल किए हैं और इसके साथ ही संरचनात्मक सुधारों के कारण दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा गया है। वित्त मंत्री ने कहा, “भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।” सरकार के सुधारों ने दुनियाभर में भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ाया है और इसके नतीजे आज भारत की ताकत के रूप में सामने आ रहे हैं।

GYAN पर फोकस

बजट भाषण में वित्त मंत्री ने ‘GYAN’ पर भी जोर दिया। GYAN का मतलब है- गरीब, युवा, अन्नदाता (किसान), और नारी शक्ति (महिलाएं)। निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार पिछले 10 सालों में इन सभी क्षेत्रों में विकास के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यह बजट देश के हर नागरिक के जीवन में बदलाव लाने और एक समृद्ध भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है।

10 साल में देश में आए बदलाव

निर्मला सीतारमण ने यह भी बताया कि पिछले एक दशक में भारत ने हर क्षेत्र में विकास किया है। चाहे वह इंफ्रास्ट्रक्चर हो, डिजिटल इंडिया, कृषि क्षेत्र हो या महिला सशक्तिकरण, सरकार ने हर क्षेत्र में बदलाव लाने की कोशिश की है। वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार का उद्देश्य किसी भी नागरिक को पीछे नहीं छोड़ना है और सबके लिए समान अवसर उपलब्ध कराना है।

2047 तक भारत को बनेगा ऊर्जा सुपरपावर

वित्त मंत्री की यह घोषणा भारत को एक शक्तिशाली ऊर्जा सुपरपावर बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। न्यूक्लियर ऊर्जा का महत्व इस समय बहुत बढ़ गया है, क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भर है। परमाणु ऊर्जा मिशन को सफल बनाने के लिए सरकार हर संभव कदम उठाने का इरादा रखती है, जिससे भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सके।

आने वाले समय में होने वाले बदलाव

निर्मला सीतारमण का कहना है कि सरकार आने वाले समय में और भी कई सुधारों की घोषणा करेगी, जिनसे भारतीय नागरिकों को सीधे तौर पर फायदा पहुंचेगा। साथ ही, सरकार का यह भी कहना है कि भविष्य में भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने हर संभव प्रयास किया है, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान बना सके।

क्या है भारत की न्यूक्लियर नीति?

भारत की न्यूक्लियर नीति हमेशा से ही शांति और सुरक्षा को प्राथमिकता देती रही है। भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने की योजना बनाई है। सरकार का मानना है कि न्यूक्लियर ऊर्जा एक साफ और सुरक्षित ऊर्जा स्रोत है, जो भारत की ऊर्जा आपूर्ति की जरूरतों को संतुलित करने में मदद करेगा।

इस बजट से यह साफ है कि सरकार ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। न्यूक्लियर ऊर्जा और जहाज निर्माण को बढ़ावा देने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा और समुद्री क्षमता में वृद्धि होगी, जो अंततः भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

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