संयुक्त राष्ट्र ने भारत में पहली बार आए कोविड वेरिएन्ट पर दिया बयान, कहा- इसे लेकर हम चिंतित हैं

जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने एशिया तथा प्रशांत क्षेत्र में कोरोना वायरस के मामलों की बेतहाशा वृद्धि पर चिंता जताई है. उसने चतावनी दी है कि भारत में पहली बार पाए गए कोविड-19 के उच्च संक्रामक स्वरूप से उप क्षेत्रों के साथ शरणार्थियों में फैलने का ‘खतरा’ है. एजेंसी ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शरणार्थियों समेत अन्य लोगों के लिए वैक्सीन की कमी का मुद्दा भी उठाया.

संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थियों के लिए उच्चायुक्त के प्रवक्ता आंद्रेइ माहेसिच ने मंगलवार को जिनेवा में एक संवाददाता सम्मेलन में बयान दिया. उन्होंने कहा कि एशिया तथा प्रशांत क्षेत्र के कई देशों में कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था ने कमियों को उजागर किया है क्योंकि पिछले दो महीनों में कोरोना के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. प्रवक्ता के मुताबिक, इस अवधि में कोविड-19 के 3.8 करोड़ मामले सामने आए और पांच लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई.

माहेसिच ने कहा, ‘‘अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन की कमी, आईसीयू में सीमित बिस्तर, अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं ने खासतौर से भारत और नेपाल में संक्रमित मरीजों के लिए हालात बदतर कर दिए. भारत में आए सबसे अधिक संक्रामक स्वरूप के शरणार्थी आबादी समेत उप क्षेत्र में तेजी से फैलने का खतरा है.’’ उन्होंने शरणार्थियों तथा शरण मांग रहे लोगों समेत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में वैक्सीन की कमी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कोविड-19 दुनिया के कई हिस्सों में पैर पसार रहा है. लिहाजा, कोविड-19 रोधी वैक्सीन को दुनियाभर तक पहुंचाने के लक्ष्य वाली कोवैक्स पहल को तत्काल मजबूत सहयोग देने का अनुरोध किया जाता है.

उन्होंने लोगों की जान बचाने और खासतौर से विकासशील देशों में वायरस के असर को कम करने के लिए पहल को अहम बताया. उनका कहना है कि दुनिया में मजबूरन विस्थापित आठ करोड़ से अधिक लोगों में सबसे बड़ी संख्या इन देशों में है. फिर भी अभी तक उन्हें कोविड-19 रोधी वैक्सीन का महज एक छोटा हिस्सा ही मिला है. महामारी को हराने के मुद्दे पर एजेंसी ने कहा, ‘‘ये तभी हो सकता है जब समान आधार पर हर जगह वैक्सीन उपलब्ध हो.’’

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि कोरोना वायरस फैलने के लिहाज से शरणार्थी सबसे अधिक संवेदनशील हैं क्योंकि रहने के लिए तंग जगह, पानी और स्वच्छता की सीमित सुविधाओं के चलते उनसे संक्रमण फैलने का खतरा है. उसने कहा कि बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में पिछले दो महीने में कोरोना वायरस के मामले बहुत ज्यादा बढ़े हैं. कॉक्स बाजार में तकरीबन 900,000 रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं और ये दुनिया में सबसे घनी आबादी वाला शरणार्थी शिविर है.

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