उन्नाव कांडः तीस हजारी कोर्ट ने आरोपी MLA कुलदीप सेंगर पर आरोप तय किए

उन्नाव रेप पीड़िता पर जान लेवा हमला
उन्नाव रेप पीड़िता पर जान लेवा हमला

उन्नाव रेप केस की सुननाई दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में लगातार चल रही है। जहां शुक्रवार को कोर्ट ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ बलात्कार के आरोप तय किए हैं। कोर्ट ने कहा कि सेंगर के खिलाफ आरोप तय करने के पर्याप्त साक्ष्य है। कोर्ट ने विधायक कुलदीप सेंगर पर आइपीसी की धारा 120b, 363, 366, 109, 376(i) और पॉक्सो एक्ट 3&4 के तहत आरोप तय किए हैं। वहीं अदालत ने सेंगर के साथी शशि सिंह के खिलाफ नाबालिग लड़की के अपहरण के संबंध में आरोप तय किए हैं।

बता दें कि इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई ने जज से कहा था कि उनकी जांच में साफ हो गया था कि कुलदीप सिंह सेंगर पर 4 जून 2017 को पीड़िता के साथ बलात्कार करने और शशि सिंह के साजिश में शामिल होने के आरोप पूर्णत: सत्य हैं। इसी के आधार पर कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई थी।

सीबीआई ने अदालत को बताया था कि शशि सिंह ने नौकरी दिलाने का लालच देकर पीड़िता को कुलदीप सिंह सेंगर के घर ले गया। पीड़िता ने सीबीआई को जो बयान दिए उसको सीबीआई ने जज के सामने रखा था।

सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि उस वक्त सेंगर के घर पर कोई मौजूद नहीं था यहां तक कि सुरक्षा कर्मी भी नहीं थे। पीड़िता ने वहां जाने का ज़िक्र घर में किसी से नही किया था। शशि उसे पीछे के दरवाजे से घर के अंदर ले गया था। जैसे ही पीड़िता उसके घर के अंदर प्रवेश कर रही थी, तभी कुलदीप सिंह सेंगर उसे दिखाई दिया, उसने पीड़िता का हाथ पकड़ा और कमरे के अंदर ले गया।

पीड़िता के पिता को अवैध हथियार रखने के मामले में झूठा फंसाया,

उन्नाव दुष्कर्म की पीड़िता के पिता को अवैध हथियार रखने के मामले में झूठा फंसाया गया था और पुलिस के साथ मिलकर एक साजिश के तहत आरोपियों ने उससे हथियार की बरामदगी करवाई थी।

पुलिसकर्मियों व आरोपियों के बीच मोबाइल फोन पर बातचीत का डाटा भी मौजूद है। यह दलील सीबीआई ने बांगरमऊ के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, व अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपों पर जिरह करते हुए दी। पीड़िता के पिता को भीड़ ने पीटा था जिसके कारण हिरासत में उसकी मौत हो गई थी। एजेंसी ने कहा कि इन आरोपियों पर आरोप तय करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं।

इसके बाद उसके खिलाफ पुलिस को मोबाइल पर उसके खिलाफ शिकायत दी गई थी। इस शिकायतकर्ता ने कुलदीप सेंगर से भी तभी बातचीत की थी। पीड़िता के पिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद इन लोगों के बीच बातचीत बंद हो गई थी। इन तथ्यों के मद्देनजर आरोपियों पर आरोप तय करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं।

अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई दूसरे शनिवार यानी 10 अगस्त को करने के लिए हाईकोर्ट की अनुमति ली जाएगी। अगर अनुमति मिलती है तो सुनवाई शनिवार अथवा मंगलवार को होगी क्योंकि सोमवार को ईद की छुट्टी है।

तीस हजारी अदालत के जिला व सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा के समक्ष सीबीआई ने आरोप पत्र का हवाला देते हुए कहा कि पीड़िता के पिता की पहले बुरी तरह पिटाई की गई थी और उसके कपड़े फाड़ दिए गए थे।

पीड़िता के पिता पर थोपा गया था कट्टा: सीबीआई

सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि जो कट्टा व चार कारतूस पीड़िता की निशानदेही पर बरामद किया गया वह उसका नहीं था और उस पर यह हथियार थोपा गया था। आरोपियों ने पुलिस के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था।

इसके अलावा एसआई कामता प्रसाद की गिरफ्तारी के एक माह बाद उसके घर से एक कट्टा बरामद हुआ था। इस पर कामता प्रसाद के वकील भरत सिंह ने आपत्ति की। इस पर सीबीआई ने कहा कि उस हथियार की बरामदगी का इस केस से कोई लेना देना नहीं है।

यूपी पुलिस का इंस्पेक्टर व एसआई भी आरोपी –

पेश मामले में जमानत पर चल रहे आरोपी यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर अशोक सिंह भदौरिया, एसआई कामता प्रसाद पेश हुए। इनके अलावा कुलदीप सिंह सेंगर, शैलेंद्र सिंह उर्फ टिंकू सिंह, विनीत मिश्रा उर्फ विनय मिश्रा, बिरेंद्र सिंह उर्फ बौवा सिंह, राम शरण सिंह, शशि प्रताप सिंह व जयदीप सिंह उर्फ अतुल सिंह को दिल्ली पुलिस ने तिहाड़ जेल से लाकर पेश किया।

बचाव पक्ष के वकीलों ने इन आरोपियों की ओर से आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सीबीआई का केस पूरी तरह झूठा व बेबुनियाद है। इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि पीड़िता के पिता को अवैध हथियार के मामले में फंसाया गया। पुलिस ने खुद उससे कट्टा व चार कारतूस बरामद किए थे। इन तथ्यों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आरोप तय नहीं किए जाने चाहिए।

तत्कालीन सीएमओ पर साजिश का आरोप

दूसरी ओर पीड़िता व उसकी मां की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील धर्मेंद्र कुमार मिश्रा व अधिवक्ता पूनम कौशिक ने कहा कि पीड़िता के पिता की गिरफ्तारी से पहले बेरहमी से पिटाई हुई थी और उसे अस्पताल में भी भर्ती करवाया गया था।

इसके बाद भी उन्नाव के सीएमओ ने उसे न्यायिक हिरासत में भेजने के लिए फिट बताया गया था और जेल में उसकी मौत हो गई थी। इसमें सीएमओ तथा आरोपियों की साजिश साफ नजर आती है।

पीड़ित पक्ष ने यह भी कहा कि मामले में आरोपी यूपी पुलिस का सिपाही आमिर खान पर केवल पीड़िता से कट्टा व कारतूस बरामदगी का आरोप है। वह यह काम खुद अपनी मर्जी से नहीं करेगा। इस मुद्दे पर एसपी उन्नाव व स्थानीय एसओ तथा एसआई की भूमिका की जांच करवाई जाए।

बहरहाल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। पीड़िता को भी इलाज के लिए एम्स लाया गया है। जहां उसका उपचार चल रहा है। घायल पीड़िता के वकील को भी एम्स लाया गया है। वह अभी कोमा में हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया कि पीड़िता के परिवार वालों के रहने की उचित व्यवस्था एम्स के आस-पास की जाए। साथ ही सीबीआई से गवाहों की सुरक्षा पर सील बंद रिपोर्ट मांगी गई है। तीस हजारी कोर्ट ने गवाहों के मामले में उत्तर प्रदेश के डीजीपी को भी निर्देश जारी किए हैं। साथ ही पीड़ित के वकीलों को केस से जुड़े तमाम दस्तावेज मुहैया करवाने का भी फरमान सुनाया गया है।

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