उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। इंडिया टुडे के एक कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि क्या वे खुद को बीजेपी का राजनीतिक वारिस मानते हैं, तो योगी ने साफ कहा, “मैं कोई वारिस नहीं हूं। मैं सिर्फ एक योगी हूं और योगी के रूप में ही काम करना चाहता हूं।” योगी ने ये भी कहा कि उनकी भूमिका जनसेवा के लिए समर्पित योगी की है, न कि राजनीतिक वारिस की।
गोरखपुर जाने की इच्छा, दिल्ली से ज्यादा गोरखपुर को तरजीह
जब योगी से पूछा गया कि उनकी इच्छा गोरखपुर जाने की है या दिल्ली आने की, तो उन्होंने कहा, “मैं गोरखपुर जाने के लिए ज्यादा उत्सुक हूं।” योगी ने बताया कि गोरखपुर उनके लिए सिर्फ एक जगह नहीं है, बल्कि उनकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान का केंद्र है। उन्होंने कहा, “अगर मुझे गोरखपुर जाने का मौका मिले, तो मैं अपने योगी धर्म को आगे बढ़ा पाऊंगा।”
योगी ने ये भी कहा कि उन्हें भारत माता के सेवक के रूप में जनता की जिम्मेदारी दी गई है और वो उसी के रूप में अपना काम कर रहे हैं। उनके इस बयान से साफ है कि वो राजनीति से ज्यादा अपने आध्यात्मिक और सामाजिक कर्तव्यों को तरजीह देते हैं।
धर्म का असली मतलब क्या है? योगी ने समझाया
योगी आदित्यनाथ ने धर्म के बारे में भी गहरी बातें कीं। उन्होंने कहा कि संन्यास को अक्सर दुनिया को त्यागने और व्यक्तिगत आध्यात्मिक उत्थान की दिशा में काम करने के रूप में देखा जाता है, लेकिन ये धर्म का सही मार्ग नहीं है। योगी ने कहा, “सच्चा धर्म दो चीजों को प्रेरित करता है: एक भौतिक प्रगति और सार्वजनिक कल्याण, और दूसरा परम आध्यात्मिक पूर्ति या मोक्ष।”
उन्होंने ये भी कहा कि धर्म का मतलब सिर्फ आध्यात्मिकता नहीं है, बल्कि समाज कल्याण और भौतिक विकास भी है। योगी ने इस बात पर जोर दिया कि धर्म का असली उद्देश्य मानवता की सेवा करना है।
गौतम बुद्ध और आदि शंकराचार्य का जिक्र
योगी ने अपने संबोधन में गौतम बुद्ध और आदि शंकराचार्य का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन दोनों महान आत्माओं ने अपना जीवन समाज कल्याण और भारत की आध्यात्मिक परंपराओं को मजबूत करने के लिए समर्पित कर दिया। योगी ने कहा, “भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद 36 साल तक मानवता के लाभ के लिए अपने ज्ञान का प्रसार किया। वहीं, आदि शंकराचार्य ने पूरे भारत की यात्रा करके चार पीठों की स्थापना की और राजाओं को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।”
योगी ने इन महान आत्माओं के उदाहरण देकर ये समझाने की कोशिश की कि धर्म का असली मतलब सिर्फ आध्यात्मिकता नहीं है, बल्कि समाज की भलाई और विकास भी है।
विपक्ष पर साधा निशाना, बोले- ‘भारत की विरासत को समझें’
योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष ने भारत की विरासत और परंपराओं को सही मायने में समझा होता, तो उनके दिमाग में कभी भी ऐसा कचरा नहीं भरा होता। योगी ने कहा, “वही लोग जो बार-बार हिंदुओं को सांप्रदायिक करार देते हैं और भारत की परंपराओं को बदनाम करने की कोशिश करते हैं, उन्हें भारत की विरासत पर गर्व होना चाहिए।”
उन्होंने ये भी कहा कि अब कई वामपंथी भी स्वामी विवेकानंद का नाम ले रहे हैं। योगी ने कहा, “मैं उनसे वही कहना चाहूंगा जो स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘गर्व से कहो कि हम हिंदू हैं’। हर भारतीय को ये बात गर्व से कहनी चाहिए।”