उत्तर प्रदेश में मुफ्त राशन वितरण में एक गंभीर गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। भारतीय काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकॉनॉमिक रिलेशन्स (ICRIER) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में 33% राशन रास्ते में ही गायब हो जाता है। यह रिपोर्ट एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि आखिर वह राशन कहां जाता है, जो गरीबों को मिलना चाहिए था।
33% राशन गायब होता है, खासकर चावल में
ICRIER द्वारा प्रकाशित शोध पत्र “Rationalising Public Distribution System in India” में यह बताया गया है कि उत्तर प्रदेश में भेजे गए चावल का करीब 28.42% हिस्सा लाभार्थियों तक नहीं पहुंचता। इसका मतलब है कि हर तीसरी बोरी चावल रास्ते में गायब हो जाती है। राशन की ये गड़बड़ियां गंभीर चिंता का विषय हैं, क्योंकि यह गरीबों के हक को मारने जैसा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में कुल राशन का 33% कभी जरूरतमंदों तक पहुंचता ही नहीं। यह आंकड़ा यह बताता है कि राज्य में राशन वितरण प्रणाली में कुछ तो गड़बड़ी है, चाहे वह सिस्टम की खामी हो या फिर भ्रष्टाचार का मामला।
डिजिटल ट्रैकिंग के बावजूद समस्याएं
भारत सरकार ने राशन वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया था, लेकिन इसके बावजूद राशन का सही तरीके से वितरण नहीं हो पा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, आधार कार्ड से राशन कार्ड लिंक होने के बावजूद राशन वितरण में गड़बड़ी हो रही है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या सिस्टम में कहीं न कहीं खामी है, या फिर भ्रष्टाचार की भूमिका है।
भ्रष्टाचार और निगरानी की कमी
2019 में हुई एक स्टडी के अनुसार, पीडीएस से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उत्तर प्रदेश और बिहार सबसे ऊपर थे। रिपोर्ट में बताया गया कि कुल 807 भ्रष्टाचार के मामलों में से 328 अकेले उत्तर प्रदेश से थे। यह दिखाता है कि राशन वितरण में गड़बड़ी का एक बड़ा कारण भ्रष्टाचार भी हो सकता है।
हालांकि, अच्छी बात यह है कि 2011-12 के मुकाबले राशन की लीकेज दर कुछ कम हुई है। उस समय करीब 46% राशन गायब हो जाता था, जो अब घटकर 33% रह गया है। लेकिन यह आंकड़ा भी चिंता का विषय है क्योंकि इसका सीधा असर गरीबों पर पड़ता है।
अन्य राज्यों में भी राशन वितरण में गड़बड़ी
उत्तर प्रदेश अकेला नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी राशन वितरण में गड़बड़ी हो रही है। इन राज्यों में सरकारी राशन को खुले बाजार में भेजकर काले बाजार में बेचा जा रहा है, जिससे जरूरतमंदों तक राशन नहीं पहुंच पाता है।
सरकार के कदम और सुधार की जरूरत
भारत की राशन वितरण प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी प्रणाली है, जिसमें करीब 81.4 करोड़ लोग शामिल हैं। अगर यह सिस्टम सही तरीके से काम करे, तो यह एक मॉडल बन सकता है। लेकिन अभी इस प्रणाली में सुधार की जरूरत है। रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि पीडीएस में निगरानी और संस्थागत बदलाव किए जाएं, ताकि राशन का सही वितरण सुनिश्चित हो सके। सिर्फ डिजिटल ट्रैकिंग से काम नहीं चलेगा, बल्कि एक मजबूत निगरानी तंत्र भी जरूरी है।
सरकार को इस पूरे मामले में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर राशन सही तरीके से बंटेगा, तो भ्रष्टाचार कम होगा और गरीबों तक उनका हक पहुंचेगा। अब यह देखना होगा कि सरकार इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेती है या यह सिर्फ एक और रिपोर्ट बनकर रह जाएगी।