यूपी में अखिलेश हों या मायावती दोनों ने अपनों को उपकृत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। दोनों ने दोनों हाथों से जमकर कार्यकर्ताओं और चहेतों को जैसे पाया वैसे रेवड़ी की तरह सरकारी सुविधाएं और सरकारी संपदा पर राज कराया। वहीं 2017 मार्च में बनी बीजेपी की योगी सरकार इस मामले में बेहद कंजूस निकली।
खासकर योगी ने कुछ ऐसी कंजूसी दिखाई की सत्ता के गलियारों से लेकर सरकार आने पर सत्ता की मलाई चाटने को बेताब कार्यकर्ता और मठाधीशों को बूंद-बूंद के लिए तरसा दिया।
यूपी में बीजेपी सरकार बने दो साल पूरे होने में कुछ ही समय बाकी है। कुछ को पार्टी ने मंत्री और सांसद के साथ एमएलसी बनाकर पद पर बैठा दिया है। वहीं कुछ की उम्मीद अब भी उन पदों पर आसीन होने की है। जिनकी तैनाती अब तक योगी सरकार ने नहीं की है। रेवड़ी की तरह बंटने वाले इन विभागों की कुर्सी के लिए जोड़तोड़ का दौर जारी है।
निगमों और आयोगों के पद खाली
बीजेपी ने अब तक कई आयोगों, निगमों, संस्थानों और कमेटियों में चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति नहीं की है। भाजपा के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की निगाहें इन खाली कुर्सियों पर अटकी हुई हैं। वहीं सरकार इनपर तैनाती के लिए साफ और ईमानदार दावेदारों की तलाश में है।
दावेदारों के मंसूबों में फिरा पानी
सरकार बनने के बाद मंत्री और एमएलसी का पद पाने की लालसा में लोगों को जब नाकामी हाथ लगी। तो इन पदों पर ही बैठने का इंतजाम करने लगे। पार्टी नेतृत्व और प्रदेश सरकार पर पहले दबाव बनाया। राज्य मंत्रिमण्डल में फेरबदल का इंतजार किया। लेकिन मंसूबे धरे के धरे रह गए। क्योंकि मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा ही चली अबतक वो परवान नहीं चढ़ी।
हज कमेटी में जाने के लिए जोड़तोड़ जारी
यूपी राज्य हज कमेटी 28 अगस्त 2018 से अस्तित्व में नहीं हैं। कमेटी में चेयरमैन कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है, इसके अलावा कमेटी में 16 सदस्य होते हैं। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे में हज कमेटी के चेयरमैन और सदस्य के पद पाने के लिए दौड़ जारी है।
सुन्नी समुदाय के नेता की तलाश
पार्टी ने अब तक मुस्लिम नेताओं को ओहदों से नवाजा है, उनमें ज्यादा तर शिया समुदाय के हैं चाहे वो बुक्कल नवाब हों या अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा या फिर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन गैरूलहसन रिजवी हों। पार्टी के पास अब तक सुन्नी समुदाय के लोगों की कमी है। जिसके उपयुक्त चेहरी की तलाश जारी है। माना जा रहा है कि राज्य हज कमेटी के चेयरमैन पद पर सुन्नी समुदाय के व्यक्ति को ही नियुक्त करना चाहती है।
ये पद है अबतक खाली
‘ उ.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन व सदस्य, राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के चेयरमैन व सदस्य, जैन व बौद्ध शोध संस्थान के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, के पद खाली है। इसके साथ ही निगमों में मत्स्य विकास निगम, पिछड़ा वर्ग कल्याण निगम, मध्य गन्ना बीज विकास निगम, अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, वक्फ विकास निगम, लघु उद्योग निगम, आवश्यक वस्तु निगम, यूपी डेस्को, यूपी एग्रो, वित्तीय निगम, हथकरघा निगम, बीज निगम आदि के चेयरमैन के पद खाली।
इन पदों पर सरकार ने कर दी तैनाती
उर्दू अकादमी के चेयरमैन के पद पर प्रो.आसिफा जमानी
अल्पसंख्यक आयोग में चेयरमैन के पद पर तनवीर हैदर उस्मानी
अनुसूचित जाति आयोग में बृजलाल
अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के चेयरमैन पद पर डा.लालजी प्रसाद निर्मल
हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर डा.सदानंद गुप्त
संस्कृत संस्थान, फखरूद्दीन अली मेमोरियल कमेटी, उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी, उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी आदि में भी तैनाती कर दी गई है।
पूर्व की सरकार में हुए कई घोटाले
निगमों और आयोगों की कुर्सी में बैठने वालों को न सिर्फ कुर्सी और चार पहिया गाड़ी मिलती है। बल्कि मोटी तनख्वाह के साथ स्टॉफ और गनर तक उपलब्ध कराया जाता है। ऐसे पदों पर अखिलेश सरकार में कई लोगों को मनचाहे तरीके से बैठाया गया। वहीं मायावती सरकार में तो कई विभागों के चेयरमैन घोटालों तक में फंसे रहे। लैक्फेड, पैक्सफेड जैसी संस्थाओं की जांच आज भी जारी है। कई लोगों को जेल भी जाना पड़ा था। लेकिन योगी सरकार इसके उलट हाथ खोलने तक का मौका नहीं दे रही है।