भड़काऊ भाषण के मामले में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी पर केस चलेगा या नहीं, सर्वोच्च न्यायालय आज फैसला सुनाएगा। साल2007 के केस में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फरवरी 2018 में फैसला सुनाते हुए सीएम योगी के विरुद्ध मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी थी। इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमण, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ के सामने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी ने उच्च न्यायालय के समक्ष रखे गए मसलों में से एक का उल्लेख किया। इसमें लिखा गया था कि क्या सरकार धारा 196 के तहत क्रिमिनल केस में ऐसे व्यक्ति के लिए आदेश पारित कर सकती है जो उसी बीच राज्य का सीएम निर्वाचित होता है और आर्टिकल 163 के तहत कार्यकारी प्रमुख है। अधिवक्ता ने कहा, हाईकोर्ट ने इस विषय पर विचार नहीं किया।
इस पर बेंच ने पूछा, एक और मसला है। एक बार जब आप फैसले के मुताबिक योग्यता पर चले जाते हैं और सामग्री के मुताबिक, यदि कोई केस नहीं बनता है, तो स्वीकृति का सवाल कहां है। अगर कोई केस है, तो स्वीकृति का प्रश्न उठेगा। अगर कोई केस ही नहीं है, तो स्वीकृति का सवाल कहां है। अय्यूबी ने कहा, केस चलाने की स्वीकृति से इनकार करने के कारण ही क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई है।