लखनऊ: संसद के दोनों सदनों से ओबीसी बिल पास होने के बाद अब राज्यों ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची की तैयारी शुरू कर दी है. सुप्रीम कोर्ट के मई में आए आदेश के बाद संसद में 127वें संविधान संशोधन के बाद नया कानून बना दिया है. इस कानून के बाद राज्यों को अपने स्तर पर ओबीसी आरक्षण की सूची तैयार करने का अधिकार दे दिया गया है. राज्यों ने भी अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले योगी सरकार भी एक्शन के मूड में है. सरकार ने 39 नई जातियों को ओबीसी की लिस्ट में शामिल करने के प्रस्ताव की तैयारी शुरू कर दी है. अभी यूपी में 79 जातियां ओबीसी आरक्षण के दायरे में आती हैं.
इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन जसवंत सैनी ने कहा नई जातियों को आरक्षण सूची में शामिल करने के लिए सर्वे का तेजी से चल रहा है. अब तक 24 जातियों के सर्वे का काम पूरा भी हो चुका है. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ सिफारिशें सरकार को पहले ही भेजी जा चुकी हैं. आयोग फिलहाल 15 जातियों के सर्वे का काम कर रहा है. इसका काम पूरा होते ही सभी सिफारिशों को एक साथ आयोग के सामने रखा जाएगा. उत्तर प्रदेश के अलावा दक्षिण भारत के बीजेपी शासित राज्यों में भी इसे लेकर तैयारी की जा रही है. आयोग की ओर से उन सभी जातियों की मांग पर विचार किया जा रहा है जिन्होंने सूची में एंट्री की मांग की है.
उत्तर प्रदेश के अलावा बीजेपी शासित दक्षिण राज्य कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भी 27 फीसद आरक्षण को लेकर तैयारी की जा रही है. चूंकि उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार 39 जातियों को आरक्षण सूची में शामिल करने के लिए प्रयास कर रही है. बीजेपी एक तरफ इसे सामाजिक न्याय बती रही है लेकिन दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव से पहले इस बड़ी तैयारी से चुनाव में जीत की रूपरेखा तैयार कर रही है. दूसरी तरफ महाराष्ट्र और गुजरात में भी ओबीसी आरक्षण का मामला पुराना है. महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन को लेकर लंबी लड़ाई लड़ी गई है. इसी के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर अपना फैसला सुनाया था.