UP: बाबा भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति

UP: बाबा भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज यानी गुरुवार से उत्तर प्रदेश के चार दिवसीय दौरे पर हैं. राष्ट्रपति बाबा भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल होंगे. इसके साथ ही वो लखनऊ, गोरखपुर और अयोध्या में विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. देश के अग्रणी संस्थान के दौरे के दौरान कोविंद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री संपूणार्नंद की छह फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण करेंगे. राष्ट्रपति 1960 में संस्कृत और हिंदी के विद्वान और सैनिक स्कूल के संस्थापक संपूणार्नंद के नाम पर एक 1,000 सीटों वाले सभागार का भी उद्घाटन करेंगे.

वह एक गर्ल्स हॉस्टल की आधारशिला रखेंगे, जिसमें 115 छात्राओं के ठहरने की व्यवस्था होगी. वह एक डिजाइन परियोजना का अनावरण करेंगे, जिसका उद्देश्य छात्रों की संख्या को मौजूदा 450 कैडेटों से बढ़ाकर 900 करना है. परियोजना के तहत प्रशासनिक ब्लॉक, कैडेट मैस, शैक्षणिक ब्लॉक और एक छात्रावास का शिलान्यास किया जाएगा. 27 अगस्त को निर्धारित चार कार्यक्रम स्कूल के डायमंड जुबली समारोह के समापन को चिह्न्ति करेंगे.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज यानी गुरुवार से उत्तर प्रदेश के चार दिवसीय दौरे पर हैं. राष्ट्रपति बाबा भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि आज यहां उपाधियां और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई और साधुवाद. यह एकमात्र विश्वविद्यालय है जहां मैं किसी समारोह में दूसरी बार आया है,यहां बाबा साहेब के विचारों का समावेश होता है,यहां उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को अलग से पुरस्कृत किया जाता है.. यहां समतामूलक संस्कारो को दिया जाता है….!उत्तर प्रदेश की अपनी पिछली यात्रा के दौरान मुझे बाबा साहेब अम्बेडकर के सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास करने का अवसर मिला था, बाबा साहेब एक शिक्षाविद समाजसुधारक, विधिवेत्ता तो थे ही साथ ही वो एक विशेषज्ञ थे…

बाबा साहेब के पुस्तको में आपको कई उल्लेख मिलेंगे जिसकी मदद से आप अपना निर्माण कर ने में सहायक होंगे
उन्होंने कहा था,शील के बिना शिक्षा अधूरी है,शील के बिना शिक्षा ज्ञान कि तलवार अधूरी है….!! आप सबके विश्विद्यालय के मूल तत्व में शब्द दिए गए प्रज्ञा शील और करुणा…बाबा साहेब ने इसे प्रतिपादित किया है…बाबा साहेब ने बुद्ध संत कबीर ज्योतिबाफुले को अपना ईश्वर माना.

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