‘वन डे-वन शिफ्ट’ की मांग पर डटे छात्रों की कौन कर रहा मदद, किसने किया रात का पूरा इंतजाम?

UPPSC Student Protest: प्रयागराज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर प्रतियोगी छात्रों का प्रदर्शन अब भी जोर पकड़ चुका है। छात्र आयोग के सामने अपनी मांगों को लेकर दिन भर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि इतने बड़े आंदोलन के बीच छात्रों को खाने-पीने और रात में आराम करने के लिए मदद कहां से मिल रही है? इस सवाल के जवाब में विभिन्न किस्म की चर्चाएं चल रही हैं।
‘वन डे-वन शिफ्ट’ की मांग पर डटे छात्र
UPPSC द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षा की शिफ्ट को लेकर छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है। छात्रों की मुख्य मांग है कि परीक्षा को एक दिन में एक शिफ्ट में कराया जाए, न कि दो शिफ्ट में। छात्रों का कहना है कि इस तरह से परीक्षा का समय बढ़ जाता है, जिससे मानसिक दबाव और तनाव बढ़ता है। इसी विरोध को लेकर ये छात्र आयोग के बाहर पिछले कई दिनों से जमा हैं।
दूसरे तरीके से विरोध कर रहे छात्र
इस आंदोलन में छात्र विभिन्न तरीकों से अपनी नारा-ज़नी और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ छात्र सड़कों पर बैठकर विरोध कर रहे हैं, तो वहीं कुछ छात्र अपने हाथों में आयोग के अध्यक्ष के पोस्टर लेकर उन्हें गुमशुदा बता रहे हैं। यह पोस्टर दिखाते हुए उन्होंने नारे लगाए कि जो कोई आयोग के अध्यक्ष को ढूंढेगा, उसे एक रुपये का इनाम मिलेगा। वहीं, इस आंदोलन में एक समय ऐसा भी आया जब छात्र गेट नंबर चार की तरफ बढ़ने लगे और अंदर घुसने की कोशिश की। पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) ने छात्रों को रोकने के लिए सक्रियता दिखाई और किसी प्रकार का अराजकता का माहौल नहीं बनने दिया।
नारी की वकालत और तिरंगे का अपमान
प्रदर्शनकारी छात्रों ने कई बार तिरंगे को सम्मान देने की बात कही थी, लेकिन प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्रों ने तिरंगे को नारेबाजी के बीच आहत किया। यह दृश्य छात्रों और पुलिस दोनों के लिए काफ़ी चौंकाने वाला था। छात्रों ने ‘राम नाम सत्य है’ जैसे धार्मिक नारे भी लगाए, जिससे आंदोलन में धार्मिक और राजनीतिक बहस की आंच भी आ गई।
रात में छात्रों को कहां से मिल रहा खाना और पानी?
प्रदर्शन के दौरान सबसे बड़ा सवाल यह था कि इन हजारों छात्रों को रात में खाना और पानी कहां से आ रहे थे। रात के अंधेरे में जब कई छात्र भूखे-प्यासे थे, तो अचानक पैक्ड खाने के पैकेट और पानी की बोतलें प्रदर्शन स्थल पर पहुंचने लगीं। इन पैकेटों के आने का सिलसिला लगातार चलता रहा, जिससे यह सवाल उठने लगा कि इतने बड़े पैमाने पर खाना और पानी कहां से आ रहा है।
प्रदर्शन स्थल पर यह चर्चा जोरों पर है कि छात्रों को यह मदद कौन दे रहा है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई सियासी दल और संगठन इस आंदोलन के पीछे खड़े हैं। यह अनुमान भी लगाया जा रहा है कि राजनीति में सक्रिय कुछ नेताओं ने इन छात्रों की मदद करने का बीड़ा उठाया है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर कई अभियान चलाए गए हैं, जिससे यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि यह आंदोलन पूरी तरह से संगठित और सुनियोजित है।
सर्द रातों का इंतजाम
प्रदर्शन में भाग लेने वाले छात्रों के लिए एक और बड़ा सवाल यह था कि इतनी ठंड में रात बिताने के लिए उन्हें कंबल कहां से मिल रहे थे। जब रात होती, तो प्रदर्शन स्थल पर एक के बाद एक कंबल भी बांटे गए। इन कंबलों और अन्य राहत सामग्रियों का इत्यादि से जुड़ा सवाल भी उठ रहा है, कि क्या ये सहायता संस्थानों या सियासी दलों द्वारा भेजी जा रही है।
मोबाइल टॉर्च और मोमबत्तियों से जलाया आंदोलन का जोश
प्रदर्शन स्थल पर रात को अंधेरे में छात्रों का हौसला और जोश बनाए रखने के लिए कई छात्रों ने मोमबत्तियां जलानी शुरू कर दीं। मोबाइल टॉर्च की रोशनी से पूरे प्रदर्शन स्थल को रोशन किया गया, जिससे आंदोलन में उत्साह और ऊर्जा बनी रही। यह एक प्रतीकात्मक तरीका था छात्रों के संघर्ष और उनकी निरंतरता को दर्शाने का।
 प्रदर्शन की तस्वीर
प्रदर्शन में शामिल छात्र इस संघर्ष को और मजबूत बनाए रखने के लिए एकजुट दिख रहे थे। नारेबाजी से लेकर कंबल तक, यह आंदोलन पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से चलाया जा रहा था। सोशल मीडिया पर भी यह दावा किया जा रहा है कि इस प्रदर्शन का आयोजन किसी राजनीतिक दल या बड़े संस्थान द्वारा किया जा रहा है। हालांकि, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन कई छात्रों ने यह माना कि उनकी मदद कुछ संगठनों और नेताओं द्वारा की जा रही है।
विरोध बढ़ सकता है
प्रदर्शन में शामिल छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, वे आंदोलन जारी रखेंगे। एक दिन में एक शिफ्ट की मांग को लेकर यह आंदोलन अब अगले स्तर पर जाने की तैयारी में है। कई छात्र यह कहते हुए दिखे कि अगर इस मुद्दे का हल नहीं निकला, तो वे और अधिक सख्त कदम उठाने के लिए तैयार हैं।
UPPSC छात्रों का प्रदर्शन अब एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन चुका है। जहां एक ओर छात्र अपनी परीक्षा को लेकर परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीति, समर्थन और प्रदर्शन की सुनियोजित रणनीतियों का भी चर्चा हो रही है। यह आंदोलन न केवल यूपीPSC परीक्षा से जुड़ा है, बल्कि एक बड़ा जनांदोलन बनने की दिशा में भी बढ़ रहा है।

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