अमेरिका ने भारत के 104 अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट कर वापस भेज दिया। ये अप्रवासी अब भारत में वापस लौट चुके हैं, लेकिन उनकी अमेरिका से भारत लौटने की यात्रा दर्द से भरी थी। इनमें से एक थे हरविंदर सिंह, जिनकी दर्दनाक कहानी ने न केवल उनकी यात्रा के कठिन सफर को बयां किया बल्कि यह भी बताया कि कैसे वह अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य की तलाश में गए थे और किस तरह उनके सपने चकनाचूर हो गए।
हरविंदर सिंह, जो पंजाब के टाहली गांव के रहने वाले हैं, अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल 40 घंटे अब तक नहीं भूल पा रहे हैं। बुधवार को जब सी-17 विमान अमृतसर पहुंचा, तो उसमें सवार 104 अवैध अप्रवासी भारतीयों ने अपने अनुभव साझा किए। हरविंदर सिंह ने बताया कि 40 घंटे तक उनके हाथों में हथकड़ी बंधी थी और पैरों को भी बांधकर रखा गया था। इस दौरान उन्हें न तो ढंग से खाना खाने की अनुमति थी और न ही वॉशरूम जाने की।
’40 घंटे थे किसी जहन्नुम से कम नहीं’
हरविंदर सिंह (40 साल) अपनी आंखों में आंसू लिए हुए थे और उन्होंने बताया कि यह सफर किसी जहन्नुम से कम नहीं था। उनका कहना था कि पूरे 40 घंटे उनके हाथों में हथकड़ी लगी रही, जिससे उन्हें खाना भी ठीक से नहीं खा सके। उन्होंने बताया कि बार-बार अधिकारियों से हथकड़ी खोलने की विनती की, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
वह यह भी कहते हैं कि यह केवल शारीरिक यातना नहीं थी, बल्कि मानसिक रूप से भी यह यात्रा बहुत कष्टकारी थी। हरविंदर के लिए यह यात्रा खासतौर पर कठिन थी, क्योंकि उन्होंने अपने परिवार से वादा किया था कि वह बेहतर जिंदगी देने के लिए अमेरिका जाएंगे, लेकिन अब उनके पास कुछ भी नहीं बचा।
अमेरिका क्यों गए थे हरविंदर?
अब सवाल यह उठता है कि हरविंदर अमेरिका क्यों गए थे? उनका परिवार पंजाब के एक छोटे से गांव में मवेशियों का दूध बेचकर अपना घर चला रहा था, लेकिन जैसे-जैसे हालात खराब होते गए, उन्हें अमेरिका जाने का विचार आया। एक रिश्तेदार ने उन्हें अमेरिका जाने का प्रस्ताव दिया और कहा कि वह उन्हें बेहतर जिंदगी दिला सकते हैं।
अच्छे भविष्य के सपने में बहकर हरविंदर सिंह ने अपनी एक एकड़ ज़मीन गिरवी रख दी और भारी ब्याज दरों पर पैसे उधार लिए। रिश्तेदार ने उन्हें 42 लाख रुपये में अमेरिका भेजने का वादा किया था, लेकिन बाद में यह सब धोखा साबित हुआ। हरविंदर और उनका परिवार इस धोखे से बहुत दुखी था।
ट्रैवल एजेंट के खिलाफ एफआईआर
हरविंदर सिंह ने बताया कि उन्हें और उनके परिवार को कई देशों के बीच इधर-उधर घुमाया गया और उनका इस्तेमाल मोहरे की तरह किया गया। हरविंदर ने कहा कि वह लगातार अपनी पत्नी कुलजिंदर कौर से संपर्क में थे और वीडियो बनाकर उन्हें अपनी स्थिति बताते रहे। उन्होंने आखिरी बार 15 जनवरी को अपनी पत्नी से बात की थी, और इसके बाद उन्हें पता चला कि वह भी उन 104 भारतीय अवैध अप्रवासियों में शामिल हैं जिन्हें अमेरिका से डिपोर्ट किया जा रहा था।
कुलजिंदर कौर ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी गांव वालों से मिली कि उनका पति हरविंदर सिंह भी डिपोर्ट किए गए लोगों में से एक हैं। इसके बाद कुलजिंदर ने अपने रिश्तेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है, जिन्होंने उनका भरोसा तोड़ा और भारी रकम लेकर अमेरिका भेजने का झांसा दिया था।
बेहतर जिंदगी का दिखाया गया सपना
हरविंदर की कहानी में सबसे दर्दनाक पहलू यह था कि उन्होंने अमेरिका जाने के लिए अपने परिवार के सभी संसाधनों को दांव पर लगा दिया था। एक बेहतर जिंदगी के सपने में वह यह नहीं जानते थे कि उनका यह कदम उनके लिए और उनके परिवार के लिए इतनी बड़ी मुश्किलें खड़ी कर देगा।
हालांकि, हरविंदर सिंह और उनके जैसे अन्य लोगों के लिए यह अनुभव जीवन भर का दर्द बनकर रह जाएगा। उन्हें उम्मीद थी कि अमेरिका में वे अपने परिवार के लिए एक नया जीवन शुरू कर सकेंगे, लेकिन वहां पहुंचने के बाद उनके साथ जो हुआ, वह पूरी तरह से उनके सपनों के खिलाफ था।
अमेरिका में अवैध प्रवासियों का संकट
हरविंदर सिंह की कहानी अकेली नहीं है। अमेरिका में अवैध प्रवासियों के संकट ने कई भारतीय परिवारों को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है। अमेरिका सरकार की कड़ी नीतियों के कारण ऐसे अप्रवासी नागरिकों की जिंदगी और भी मुश्किल हो गई है। डिपोर्टेशन के दौरान यह लोग अपनी पूरी जिंदगी के सपनों को टूटते हुए देख रहे हैं, और यह एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है कि क्या इन लोगों की दीन-हीन स्थिति को सुधारने के लिए कोई कदम उठाया जाएगा।
क्या होता है डंकी रूट?
हरविंदर सिंह का अमेरिका जाने का तरीका था डंकी रूट, जिसे लेकर कई लोग जानकारियों में धोखाधड़ी का शिकार होते हैं। इस रूट में अवैध तरीके से लोग दूसरे देशों से अमेरिका पहुंचते हैं, लेकिन इन रास्तों पर चलने से उनकी जिंदगी जोखिम में पड़ जाती है। हरविंदर सिंह की तरह कई लोग इस रास्ते से अमेरिका गए थे, लेकिन उन्हें वहां न केवल कठिनाई का सामना करना पड़ा बल्कि उन्हें वापसी का सामना भी करना पड़ा।