अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024: ज्यादा वोट नहीं, 270 इलेक्टोरल वोट्स से ही तय होगा जीत का रास्ता

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया अब काफी जटिल हो चुकी है। इस बार डेमोक्रेटिक पार्टी से कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी से डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुकाबला है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी नहीं कि कोई उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिले? असल में, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की असली चुनौती इलेक्टोरल कॉलेज में बहुमत प्राप्त करने में है।

इलेक्टोरल कॉलेज का गणित अमेरिकी चुनाव में आम जनता राष्ट्रपति पद के लिए सीधे वोट नहीं देती। इसके बजाय, लोग इलेक्टर्स (निर्वाचक) को वोट देते हैं, जो बाद में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। इलेक्टोरल कॉलेज में कुल 538 इलेक्टर्स होते हैं, और जीतने के लिए किसी उम्मीदवार को 270 या उससे ज्यादा इलेक्टोरल वोट्स की आवश्यकता होती है।

हालांकि, यह जरूरी नहीं कि इलेक्टोरल वोट्स में जीतने वाला उम्मीदवार ही राष्ट्रपति बने। 2016 में हिलेरी क्लिंटन ने राष्ट्रीय स्तर पर अधिक वोट प्राप्त किए थे, लेकिन इलेक्टोरल कॉलेज में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

राष्ट्रपति की शपथ और चुनावी रंग अमेरिका में राष्ट्रपति को जनवरी 2025 में शपथ दिलाई जाती है। वहीं, चुनावी रणनीति में रंगों का भी खास महत्व है। अमेरिका के राज्य तीन प्रमुख रंगों में बंटे हुए हैं: रेड (रिपब्लिकन), ब्लू (डेमोक्रेट) और पर्पल (स्विंग स्टेट्स)

रेड स्टेट्स वो राज्य हैं, जहां रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा है, जबकि ब्लू स्टेट्स में डेमोक्रेट्स का वर्चस्व है। पर्पल स्टेट्स या स्विंग स्टेट्स वो राज्य हैं जहां न तो रिपब्लिकन और न ही डेमोक्रेट्स का एकतरफा असर है। यहां दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर होती है, और यही राज्य चुनाव परिणाम तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

स्विंग स्टेट्स की अहमियत अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का नतीजा इन स्विंग स्टेट्स पर निर्भर करता है, क्योंकि ये राज्य चुनाव के अंतिम परिणाम में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पेंसिल्वेनिया, जॉर्जिया, मिशिगन, एरिजोना, और विस्कॉन्सिन जैसे स्विंग स्टेट्स में इस बार ट्रंप और हैरिस के बीच कड़ी टक्कर चल रही है। ताजा सर्वेक्षणों के अनुसार, ट्रंप को पेंसिल्वेनिया, जॉर्जिया और एरिजोना में मामूली बढ़त मिल रही है, जबकि मिशिगन, विस्कॉन्सिन और नेवादा में कमला हैरिस को कुछ बढ़त दिखाई दे रही है।

इसलिए, राष्ट्रपति बनने के लिए सिर्फ राष्ट्रीय वोटों की संख्या मायने नहीं रखती, बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज में 270 वोटों का हासिल करना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। इस बार का चुनाव भी पर्पल स्टेट्स की बारीकी से देखी जाने वाली तस्वीर को लेकर बेहद दिलचस्प होने वाला है।

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