9 साल से हाथ ऊपर रखकर महाकुंभ में धूम मचाने वाले महाकाल गिरी बाबा, नाखून तक नहीं काटे!

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश): विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला महाकुंभ इस समय प्रयागराज में चल रहा है। इस मेले में देश-विदेश से साधु-संतों का आगमन हो रहा है। महाकुंभ में कई साधु-संत अपनी श्रद्धा और भक्ति के कारण चर्चाओं का विषय बने हुए हैं। इन्हीं में से एक बाबा हैं महाकाल गिरी बाबा, जो पिछले 9 सालों से एक हाथ ऊपर किए हुए हैं और अपनी तपस्या के कारण सुर्खियों में हैं।
महाकुंभ में बाबा की तपस्या का विशेष आकर्षण
महाकुंभ के इस विशाल मेले में महाकाल गिरी बाबा की तपस्या सबका ध्यान खींच रही है। उनका संकल्प और हठयोग ने उन्हें एक अलग ही पहचान दिलाई है। महाकाल गिरी बाबा ने अपने जीवन में गौ रक्षा और धर्म रक्षा के लिए एक संकल्प लिया है और इसके तहत वे पिछले 9 साल से अपना एक हाथ ऊपर उठाकर रखे हुए हैं।
बाबा का कहना है कि उनका यह संकल्प केवल उनके लिए नहीं, बल्कि समाज और देश के लिए भी है। उन्होंने जो संकल्प लिया है, वह भगवान भोलेनाथ की आशीर्वाद से संभव हुआ है और वे इसे जीवनभर निभाएंगे। बाबा का मानना है कि यह उनके लिए कोई कठिन काम नहीं है, बल्कि यह भगवान की तपस्या और साधना का परिणाम है।
साधु जीवन की शुरुआत और भगवान की भक्ति
महाकाल गिरी बाबा का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने जब वह करीब 10-12 साल के थे, तब अपना घर छोड़ दिया और साधु-संतों के साथ भगवान की भक्ति में लीन हो गए। करीब दो दशकों से अधिक समय से बाबा साधु जीवन जी रहे हैं और अब वे महाकुंभ में अपने संकल्प के साथ आकर लोगाें को आकर्षित कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनका जीवन हमेशा साधना और तपस्या में व्यतीत हुआ है और इस समय उनका संकल्प गौ रक्षा और सनातन धर्म के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है।
कुंभ में हर बार दिखाते हैं अपनी उपस्थिति
महाकुंभ में महाकाल गिरी बाबा का यह 9 साल पुराना संकल्प अब उनकी पहचान बन चुका है। बाबा का कहना है कि वह हर बार कुंभ मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने आते हैं ताकि लोग उनके संकल्प को जान सकें और उनसे प्रेरणा ले सकें। महाकुंभ के इस मौके पर लोग उन्हें देखने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं। उनकी तपस्या और साधना लोगों के बीच एक संदेश देती है कि जब व्यक्ति दृढ़ निश्चय और आस्था के साथ अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होता है, तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है।
9 साल से नहीं काटे नाखून
महाकाल गिरी बाबा की तपस्या में एक और दिलचस्प पहलू है। वह कहते हैं कि उन्होंने अपने हाथ को ऊपर किए हुए 9 साल हो गए हैं, और इस दौरान उन्होंने अपने हाथ के नाखून नहीं काटे। उनका मानना है कि इस तपस्या का एक हिस्सा यह भी है। बाबा का कहना है कि यह सब उनके पिंडदान और सनातन धर्म की रक्षा के लिए किया गया है। उनका यह कार्य भगवान भोलेनाथ की आशीर्वाद से पूरी तरह से संभव हुआ है और इसके द्वारा वह लोक कल्याण के लिए अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
ध्यान आकर्षित करने वाला संकल्प
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु और संत महाकाल गिरी बाबा की साधना से प्रभावित हो रहे हैं। बाबा का यह संकल्प न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उनके दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास को भी दर्शाता है। उनका यह संकल्प लोगों को यह सिखाता है कि अगर मन में कोई संकल्प हो और उस पर पूरी निष्ठा से चलते रहें, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता।
महाकुंभ में महाकाल गिरी बाबा का यह अद्वितीय संकल्प श्रद्धालुओं के बीच एक आकर्षण का केंद्र बन चुका है, और अब हर कोई उनका दर्शन करने के लिए आ रहा है। उनकी साधना और तपस्या को देखकर लोग धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा और विश्वास को और भी प्रगाढ़ कर रहे हैं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles