उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मंगलवार को एक बड़े अनुपूरक बजट का प्रस्ताव विधानसभा में पेश करने जा रही है। यह बजट करीब 14,000 करोड़ रुपये का हो सकता है और इसका फोकस मुख्य रूप से महाकुंभ के आयोजन से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं, नगर विकास, और बुनियादी ढांचे के विकास पर होगा। महाकुंभ के आयोजन की तैयारी में जुटी सरकार किसी भी तरह की कोताही नहीं छोड़ना चाहती और इसके लिए अतिरिक्त बजट का यह कदम उठाया गया है। महाकुंभ के अलावा राज्य के अन्य विकास कार्यों के लिए भी यह बजट लाया जा रहा है।
2024-25 का बजट और अनुपूरक बजट की जरूरत
इससे पहले, योगी सरकार ने 2024-25 के लिए 7.36 लाख करोड़ रुपये का मूल बजट फरवरी में पेश किया था। इसके बाद, जुलाई में 12,909 करोड़ रुपये का एक अनुपूरक बजट भी पेश किया गया था। अब एक और अनुपूरक बजट शीतकालीन सत्र में आ रहा है, जो महाकुंभ के आयोजन और अन्य योजनाओं के लिए जरूरी अतिरिक्त खर्च की जरूरत को पूरा करेगा।
अनुपूरक बजट का क्या मतलब होता है?
किसी भी सरकार को अपने पहले से स्वीकृत बजट में अतिरिक्त खर्च की आवश्यकता होने पर ही अनुपूरक बजट पेश करना पड़ता है। यह बजट उन खर्चों को कवर करने के लिए होता है, जो पहले से अनुमनित बजट में शामिल नहीं थे या जिनकी जरूरत नई योजनाओं, परियोजनाओं या नीतियों के चलते हो गई हो। उदाहरण के लिए, महाकुंभ के आयोजन के लिए जो अतिरिक्त धनराशि जरूरी हो रही है, वही इस अनुपूरक बजट का हिस्सा बनेगा।
महाकुंभ की भव्यता के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता
महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से शुरू हो रहा है, और इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कई योजनाओं का खाका तैयार किया है। सरकार का उद्देश्य इसे दिव्य और भव्य बनाने का है, जिसमें हर तरह की सुविधा और व्यवस्था का ध्यान रखा जाएगा। महाकुंभ के दौरान करीब 40-45 करोड़ लोगों के शामिल होने का अनुमान है। इस धार्मिक समागम की भव्यता को सुनिश्चित करने के लिए लाखों रुपये के विकास कार्यों की जरूरत होगी, जो इस अनुपूरक बजट के जरिए पूरे किए जाएंगे।
महाकुंभ मेला क्षेत्र को नया जिला घोषित किया गया
महाकुंभ के आयोजन के लिए प्रयागराज को नया जिला घोषित किया गया है। इसके तहत महाकुंभ मेला क्षेत्र में जरूरी प्रशासनिक प्रक्रियाएं शुरू की जाएंगी। इसके लिए भी बजट की आवश्यकता होगी, और सरकार ने इसे अनुपूरक बजट में शामिल करने का फैसला लिया है। इस फैसले से मेला क्षेत्र में बेहतर व्यवस्थाओं के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध होंगे।
पहले से किए गए महाकुंभ के बजट आवंटन
योगी सरकार ने 2023 में महाकुंभ के लिए 2500 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। इससे पहले 2022-23 के बजट में महाकुंभ के लिए 621.55 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इन बजटों का इस्तेमाल महाकुंभ के आयोजन से जुड़ी योजनाओं और विकास कार्यों में किया जा रहा है।
महाकुंभ के लिए कुल बजट और खर्च
यूपी पर्यटन विभाग के मुताबिक, महाकुंभ 2025 का अनुमानित बजट 6,382 करोड़ रुपये का है, जिसमें से अब तक 5,600 करोड़ रुपये से ज्यादा पहले ही खर्च हो चुके हैं। इस बजट का बड़ा हिस्सा आयोजन और उससे जुड़े विकास कार्यों में खर्च होगा। यूपी सरकार इस आयोजन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती और इसके लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता भी महसूस हो रही है, जिसे अनुपूरक बजट के जरिए पूरा किया जाएगा।
अन्य विकास कार्यों के लिए भी बजट आवंटन
महाकुंभ के अलावा यूपी सरकार के पास कई अन्य महत्वपूर्ण योजनाएं हैं, जिनके लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी। इनमें प्रमुख हैं:
- नगर विकास: महाकुंभ और अन्य योजनाओं के लिए नगर विकास के कार्यों को तेज करना।
- जेवर एयरपोर्ट: ग्रेटर नोएडा में बन रहे जेवर एयरपोर्ट के निर्माण में तेज़ी लाने के लिए भी अनुपूरक बजट की जरूरत है।
- गंगा एक्सप्रेसवे: इस बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए भी अतिरिक्त धन का आवंटन किया जा सकता है, ताकि प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो सके।
कैबिनेट से मंजूरी के बाद विधानसभा में पेश होगा अनुपूरक बजट
मंगलवार को योगी सरकार अपने अनुपूरक बजट के प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में पेश करेगी, और उसके बाद इसे विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि महाकुंभ 2025 का आयोजन बिना किसी बाधा के सफलतापूर्वक किया जाए और साथ ही अन्य विकास कार्यों में भी कोई कमी न रह जाए।
योगी सरकार ने खोल दिया खजाना
महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए यूपी सरकार ने अपनी पूरी आर्थिक ताकत झोंक दी है। पर्यटन विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियां पूरी तरह से महाकुंभ की तैयारियों में जुटी हुई हैं। इससे पहले जब 2012 में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार के दौरान महाकुंभ हुआ था, तब बजट करीब 1,152 करोड़ रुपये था, लेकिन इस बार सरकार ने महाकुंभ के आयोजन को पहले से कहीं ज्यादा भव्य बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए अतिरिक्त 6,382 करोड़ रुपये का खर्चा किया जाएगा।
योगी सरकार महाकुंभ 2025 के आयोजन को सफल बनाने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इस आयोजन को लेकर सरकार ने पूरी तरह से अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं, और इसके लिए अनुपूरक बजट की जरूरत महसूस हो रही है। महाकुंभ के अलावा राज्य के अन्य विकास कार्यों के लिए भी यह बजट महत्वपूर्ण है।