उत्तर प्रदेश में अब राज्य सरकार ने छह महीने तक कर्मचारियों की हड़ताल पर पाबंदी लगा दी है। यह आदेश प्रमुख सचिव एम देवराज द्वारा जारी किया गया है, और इसे उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं के अनुरक्षण अधिनियम (ESMA), 1966 की धारा तीन की उपधारा के तहत जारी किया गया है। इस आदेश के मुताबिक, यूपी सरकार से जुड़ी सभी सेवाओं के कर्मचारी, जो सरकारी नियंत्रण या स्वामित्व में हैं, आगामी छह महीने तक किसी भी प्रकार की हड़ताल नहीं कर सकेंगे।
सरकार का कहना है कि यह निर्णय लोकहित में लिया गया है और इसे प्रदेश की स्थिति को स्थिर बनाए रखने के लिए लागू किया गया है।
बिजली विभाग की हड़ताल की वजह से लिया गया फैसला
यह आदेश खासकर उस समय जारी किया गया जब उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारियों ने 7 दिसंबर को हड़ताल करने का ऐलान किया था। बिजली कर्मचारियों के हड़ताल के फैसले के बाद, योगी सरकार ने इसे लेकर कड़ा कदम उठाया और छह महीने के लिए हड़ताल पर रोक लगाने का आदेश जारी किया। यह फैसला ‘एसेंशियल सर्विसेस मेंटनेंस एक्ट’ (ESMA) के तहत लिया गया है, जो राज्य सरकार के सभी विभागों, निगमों और कॉरपोरेशन पर लागू होगा।
पावर कॉरपोरेशन पहले ही था सतर्क
प्रदेश के पावर कॉरपोरेशन, खासकर पूर्वांचल और दक्षिणांचल वितरण निगमों ने हड़ताल की आशंका को पहले ही भांप लिया था और इस दिशा में तैयारी शुरू कर दी थी। कर्मचारियों द्वारा हड़ताल की घोषणा के बाद, पावर कॉरपोरेशन ने शासन के बड़े अधिकारियों को जानकारी दी, जिससे सरकार ने तुरंत इस पर संज्ञान लिया और पाबंदी का आदेश जारी कर दिया। पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने डीएम, मंडलायुक्तों और पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखकर हड़ताल से निपटने के लिए तैयारियों के आदेश पहले ही दे दिए थे।
संविदा कर्मी भी नहीं कर सकेंगे हड़ताल
सरकार ने इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि सिर्फ नियमित कर्मचारी ही नहीं, बल्कि संविदा कर्मी भी इस छह महीने के दौरान हड़ताल नहीं कर सकेंगे। इस कदम से सरकार ने पावर कॉरपोरेशन और अन्य सरकारी सेवाओं की कार्यप्रणाली में किसी प्रकार के व्यवधान को रोकने का प्रयास किया है।
सरकार का रुख और कर्मचारी संगठनों की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद जहां सरकार ने इसे लोकहित में बताया, वहीं कर्मचारी संगठन इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगे हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम नागरिकों की आवश्यक सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए उठाया गया है, खासकर जब बिजली जैसी अहम सेवा में कोई विघ्न डालने का खतरा हो।
इस आदेश के लागू होने से कर्मचारियों की हड़तालों पर अंकुश लगेगा, लेकिन यह देखना होगा कि भविष्य में इस फैसले को लेकर कर्मचारी संगठनों की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं।