वाराणसी प्रवासी भारतीयों के स्वागत के लिए तैयार, ‘टेंट सिटी’ में होगा ग्रामीण एहसास

देश का15 वां और उत्तर प्रदेश के पहले प्रवासी भारतीय दिवस के लिए वाराणसी में तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं. प्रयागराज में अर्धकुंभ के दौरान प्रवास करने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए बन रही टेंट सिटी की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 43 हेक्टेयर में क्षेत्रफल में ‘टेंट सिटी’ का निर्माण किया जा रहा है.

टेंट सिटी में फाइव स्टार के साथ  ग्रामीण जीवन का होगा एहसास

21 से 23 जनवरी तक वाराणसी में होने वाले तीन दिवसीय प्रवासी भारतीय दिवस में 7 हजार से ज्यादा प्रवासी भारतीयों के आने की संभावना है. सम्मेलन में आए प्रवासियों के लिए ‘ऐढ़े गांव’ में एक नए शहर ‘टेंट सिटी’ को बसाया जा रहा है. जहां पर प्रवासियों को आधुनिक जीवन के साथ ही ग्रामीण जीवन का भी एहसास ले सकेंगे.

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प्रयागराज में अर्धकुंभ के दौरान प्रवास करने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए बनाए गए टेंट सिटी की ही तर्ज पर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में में 1,480 प्रवासी भारतीयों के प्रवास के लिए 43 हेक्टेयर में ‘टेंट सिटी’ में सैकड़ों लग्जरी ‘टेंट हाउस’ का निर्माण किया जा रहा है. टेंट सिटी का हर डाइनिंग हाल कुछ अलग ही होगा. इसमें विला के लिए बनाए जा रहे डाइनिंग हॉल को मंदिर नुमा बनाया जा रहा है. वहीं एक दूसरे हॉल के प्रवेश द्वार पर काशी के गंगा घाटों की पेंटिंग बनाई जा रही है. ऐसे में वहां बनने वाले अस्पताल पुलिस स्टेशन सहित सभी तरह के बनावट को कुछ अलग अलग तरह से बनाया जा रहा है. वाराणसी के ऐढ़े गांव में बन रहें टेंट सिटी में फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएं दी जाएंगी. जहां प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रवास करेंगे. ‘टेंट सिटी’ में ‘ग्रामीण’ परिवेश का होगा एहसास. मेहमानों के स्वागत में प्रदेश सरकार लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च कर रही हैं.

टेंट सिटी में लकड़ी के चूल्हे पर बना खाना परोसा जाएगा

प्रवासी भारतीय दिवस के लिए ‘ऐढ़े गांव’ के चयन के बाद ग्रामीण बेहद खुश हैं. ऐढ़े गांव आने वाले प्रवासी भारतीयों के स्वागत के लिए ग्रामीणों ने अभी से मन बना लिया है. सभी ग्रामीण मिलकर पूरे गर्मजोशी के साथ बैंड बाजा और गजरे के फूल के साथ अपने गांव में ‘टेंट सिटी’ आने वाले प्रवासी भारतीयों का स्वागत करेंगे. ग्रामीणों ने खान-पान की भी विशेष व्यवस्था की योजना बनाई है, जिसमें बाटी, दाल, चोखा, दही-चूड़ा, गुड़ का तिलवा, खांड़ और मक्के-बाजरे की रोटी भी मैन्यू में रखा गया है. खाना लकड़ी के चूल्हे पर गांव की औरतों द्वारा बगैर किसी सरकारी मदद के बनाया जाएगा. ‘ऐढ़े गांव’ में ‘टेंट सिटी’ बनाने का सरकार का मकसद यही है कि जिस बेस कल्चर को प्रवासी देश छोड़कर गए हैं, वहीं उनको दिखाना है.

मेहमान तय करेंगे काशी में क्या देखें क्या नहीं

सम्मेलन में आने वाले मेहमान खुद तय करेंगे कि वे काशी में क्या देखेंगे, कहां घूमेंगे या किस मंदिर में दर्शन पूजन करेंगे. शासन, प्रशासन की ओर से अतिथियों के घूमने, टहलने व पर्यटन को लेकर कोई बाध्यता नहीं होगी. पर्यटन विभाग ने प्रवासी अतिथियों के पर्यटन, दर्शन-पूजन को लेकर कार्ययोजना तैयार की है.
इसे पीबीडी (प्रवासी भारतीय दिवस) की साइट पर अपलोड किया जा रहा है. प्रवासी अपनी रुचि व श्रद्धा के आधार पर अपने लिए विकल्प चुन सकेंगे. पीबीडी की साइट पर प्रवासी भारतीय अपने रुचि के अनुसार विकल्प चुनेंगे.

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ऑन लाइन बुकिंग

होटल में ठहरेंगे या टेंट सिटी में, इसका चुनाव भी प्रवासी ऑनलाइन ही कर रहे हैं. इसी के आधार पर शासन, प्रशासन को भी एक आंकड़ा मिल जाएगा कि कौन कहां जाएगा और क्या देखेगा. सम्मेलन के लिए जिले के  सभी होटलों के मिलाकर 1200 कमरें प्री बुक कर लिए गए हैं. प्रवासी अपनी क्षमता व पसंद के आधार पर होटल या टेंट सिटी आदि की बुकिंग कराएंगे और इसके लिए भुगतान करेंगे.

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